शहरों की भागदौड भरी जिन्दगी में व्यक्ति समय बचाने के लिए हर संभव प्रयास करता नजर आता है. इसी प्रयास में यूरिन को रोकना भी शामिल है. ख़ास कर महिलाएं ऑफिस की मीटिंग के बीच वाशरूम जाने के लिए कभी नहीं उठती. उन्हें लगता है कि अभी मीटिंग ही जरुरी है और फिर समय मिलते ही वाशरूम जा सकते हैं. इसी तरह रात को सोते समय भी पुरुष और महिलाएं दोनों ही वाशरूम जाने से बचते हैं.
कभी समय और कभी आलस के कारण यूरिन रोकना या वाशरूम न जाना कई बिमारियों को बुलावा देने जैसा है. जितने लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेगें, आपका ब्लैडर बैक्टीरियों को अधिक विकसित कर कई प्रकार की बिमारियों का कारण बनता जाएगा.
यूरीन शरीर की स्वाभाविक क्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निष्कासित कर देना चाहिए. वैसे तो ब्लैडर के भरने पर स्वत: प्रतिक्रिया तंत्र आपके मस्तिष्क को वाशरूम जाने का संकेत भेजती है. यदि थोड़े समय के लिए भीआपइसे रोकते हैं तो संक्रमण की शुरुआत हो सकती है.
कुछ लोग यूरीन को कुछ मिनट के लिए तो कुछ से लंबे समय तक रोक कर रखते है. आप यूरीन कितनी देर तक रोक कर रख सकते हैं यह यूरीन की उत्पादन मात्रा पर निर्भर करता है. इसके अलावा यह हाइड्रेशन की स्थिति, तरल पदार्थ और ब्लैडर की कार्यक्षमता पर भी निर्भर करता है. लेकिन यूरीन को अक्सर रोककर रखने वाले लोग इसे पता लगाने की अपनी क्षमता को खो देते हैं. जितना लंबे समय तक आप यूरीन को रोककर रखेगें, आपका ब्लैडर बैक्टीरियों को उतनी जल्दी विकसित कर कई प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम का कारण बन सकता है.
यूरिन रोकने के परिणाम…
1-किडनी में स्टोन
यूरीन को एक से दो घंटे रोकने के कारण महिलाओं व कामकाजी युवाओं में यूरीन संबंधी दिक्कतें आती है. जिसकी शुरूआत में ब्लैडर में दर्द होना शुरू हो जाता है. साथ ही 8 से 10 घंटे बैठ कर काम करने वाले युवाओं को यूरीन की जरूरत ही तब महसूस होती हैं, जबकि वह कार्य करने की स्थिति बदलते हैं. जबकि इस दौरान किडनी से यूरिनरी ब्लैडर में पेशाब इकठ्ठा होता रहता है.
हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लेडर में पहुंचता है, जिसे प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली हो जाना चाहिए. ब्लैडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है. क्योंकि पेशाब में यूरिया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं.
2-यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन
जब भी यूरीन महसूस हो तुरंत जाएं वरना यूटीआई होने का खतरा बढ़ जाता है. यूरीन रोकने के कारण सबसे तेज़ी से यह संक्रमण फैलता है. यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन यानी मूत्र मार्ग में संक्रमण महिलाओं को होने वाली बीमारी है. मूत्र मार्ग संक्रमण जीवाणु जन्य संक्रमण है जिसमें मूत्र मार्ग का कोई भी भाग प्रभावित हो सकता है. हालांकि मूत्र में तरह-तरह के द्रव होते हैं किंतु इसमें जीवाणु नहीं होते. यूटीआई से ग्रसित होने पर मूत्र में जीवाणु भी मौजूद होते हैं. जब मूत्राशय या गुर्दे में जीवाणु प्रवेश कर जाते हैं और बढ़ने लगते हैं तो यूटीआई हो जाता है.
3-इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस
इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस एक दर्दनाक ब्लैडर सिंड्रोम है, जिसके कारण यूरीन भंडार यानी ब्लैडर में सूजन और दर्द हो सकता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस से ग्रस्त लोगों में अन्य लोगों की तुलना में यूरीन बार-बार लेकिन कम मात्रा में आता है। अभी तक इसके सही कारणों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं लेकिन डॉक्टरों का मानना हैं कि यह जीवाणु संक्रमण के कारण होता है। इन्टर्स्टिशल सिस्टाइटिस के आम लक्षणों में दर्दनाक श्रोणि, बार-बार यूरीन महसूस होना और कुछ मामलों में ग्रस्त व्यक्ति एक दिन में 60 बार तक यूरीन जाता है। इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार से लक्षणों को कम किया जा सकता है।
4-किडनी फेलियर
किडनी फेलियर में किडनी अचानक ब्लड से विषाक्त पदार्थों और अवशेषों के फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है जिसे मेडिकल भाषा में किडनी फेल होना कहते हैं. यूरीन से संबंधित हर तरह के इंफेक्शन किडनी पर बुरा असर डालते हैं. बॉडी में यूरिया और क्रियटिनीन दोनों तत्व ज्यादा बढ़ने की वजह से यूरीन के साथ बॉडी से बाहर नहीं निकल पाते हैं, जिसके कारण ब्लड की मात्रा बढ़ने लगती है.
भूख कम लगना, मितली व उल्टी आना, कमजोरी लगना, थकान होना सामान्य से कम पेशाब आना, ऊतकों में तरल पदार्थ रुकने से सूजन आना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं.
5-यूरीन का रंग गहरा होना
अधिक देर तक यूरीन को रोकने से यूरीन का रंग भी बदलने लगता है. हालांकि ऐसा होने के पीछे सबसे अधिक संभावना संक्रमण की होती है. इसके अलावा बीट, बेरीज, जामुन, शतवारी जैसे कुछ खाद्य पदार्थ के कारण भी यूरीन का रंग प्रभावित होता है. विटामिन-बी यूरीन के रंग को हरे और चुकंदर लाल रंग में बदल देता है.
6-ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर होना
यूरिन रोकने के दवाब के बाद भी यदि तीन से चार मिनट भी पेशाब को रोका गया तो यूरिन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं, जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं. इसके अलावा यूरीन बार-बार रोकने से ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और यह यूरीन करने की क्षमता को भी कम करता है.
इन सभी कारणों और इनसे होने वाली बिमारियों से बचने के लिए अच्छा है कि यूरिन के लिए जाने को स्वाभाविक तरीके से लिया जाए. शर्म, आलस और समय तभी उपयोगी है जब शरीर स्वस्थ है अन्यथा नहीं.