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छह माह में 10 दिन भी नहीं मिला काम
गढ़वा : जिले के प्रखंड विकास पदाधिकारी मनरेगा को लेकर उदासीन रवैया अपनाये हुए हैं. सुखाड़ की उत्पन्न स्थिति में जब कृषि पर आधारित मजदूर बेकार हो गये हैं, ऐसे में जिले के मजदूरों को मनरेगा से आर्थिक मदद मिल सकती थी. मनरेगा के तहत शुरू किये गये कार्यों को पूर्ण करने में गढ़वा जिले […]
गढ़वा : जिले के प्रखंड विकास पदाधिकारी मनरेगा को लेकर उदासीन रवैया अपनाये हुए हैं. सुखाड़ की उत्पन्न स्थिति में जब कृषि पर आधारित मजदूर बेकार हो गये हैं, ऐसे में जिले के मजदूरों को मनरेगा से आर्थिक मदद मिल सकती थी. मनरेगा के तहत शुरू किये गये कार्यों को पूर्ण करने में गढ़वा जिले की स्थिति पूरे राज्य में 14 वीं है.
गढ़वा जिले में वर्ष 2015-16 में चल रहे 3990 कार्यों में से 25 प्रतिशत यानी 1362 कार्य ही पूर्ण हो सके हैं. यहां यह उल्लेखनीय है कि चल रही सभी 3990 योजनाएं वर्तमान वित्तीय वर्ष में नहीं ली गयी है, बल्कि पूर्व के वर्षों में ली गयी योजनाएं हैं. जो अभी तक पूर्ण नहीं हो सकी है. वर्तमान वित्तीय वर्ष 2015-16 में करीब 325 नयी योजनाओं की स्वीकृति मिली है. लेकिन अभी इन पर कार्य प्रारंभ नहीं हो सका है.
वर्तमान में गढ़वा जिले में 855905 मानव दिवस का सृजन किया गया है. जबकि यहां मनरेगा के कुल सक्रिय मजदूर 91274 हैं. मजदूरों के हिसाब से यदि मानव दिवस सृजन का हिसाब लगाया जाये, तो प्रत्येक मजदूर को एक अप्रैल से 15 सितंबर तक साढ़े पांच माह में 10 दिन भी काम नहीं मिले हैं. जबकि नियमानुसार वर्ष भर में मजदूरों को 100-100 दिन का काम देना है.
बंद है बीडीओ का वेतन : 12 सितंबर को पलामू आयुक्त के यहां मनरेगा योजनाओं की समीक्षा बैठक की गयी थी. इसमें खराब स्थिति वाले गढ़वा जिले के आधा दर्जन बीडीओ को फटकार लगाते हुए वेतन बंद करने के निर्देश दिये गये थे.
डंडई, धुरकी, खरौंधी की स्थिति सबसे बुरी
योजनाओं को पूर्ण करने के मामले में जिले के विशुनपुरा प्रखंड को छोड़कर शेष प्रखंडों की स्थिति काफी खराब है. विशुनपुरा प्रखंड में 72 प्रतिशत योजनाओं को पूर्ण कर लिया गया है. यहां 144 योजनाएं पूर्ण की गयी है. जबकि 56 योजनाएं अपूर्ण है. इसके अलावा अन्य सभी प्रखंडों में छह माह बीतने के बाद भी 50 प्रतिशत योजनाओं को पूर्ण नहीं किया जा सका है.
डंडई में 17 योजनाएं पूर्ण हैं, जबकि 210 योजनाएं अपूर्ण हैं. यहां की प्रगति का प्रतिशत मात्र सात है. धुरकी में 452 में से नौ प्रतिशत यानी सिर्फ 39 योजनाएं पूरी की गयी है. इसी तरह खरौंधी में 199 में से मात्र 24 योजनाएं पूर्ण हुई है. इन तीनों प्रखंडों की स्थिति जिले में सबसे ज्यादा खराब है.
इसके अलावा सगमा में 224 में से मात्र 24 (11 प्रतिशत), डंडा में 89 में से 16 (18 प्रतिशत), रमना में 282 में से 52 (18 प्रतिशत), मेराल में 253 में से 55 (22प्रतिशत), भंडरिया में 439 में से 97 (22 प्रतिशत), बरडीहा में 194 में 43(22प्रतिशत़), रंका में 422 में 100 (24प्रतिशत), चिनियां प्रखंड में 306 में से 75 (25प्रतिशत), रमकंडा में 285 में से 74(26प्रतिशत), मझिआंव में 149 में से 39(26प्रतिशत), नगरउंटारी में 572 में 151(26प्रतिशत), गढ़वा में 265 में से 70(26प्रतिशत), केतार में 114 में से 35(31 प्रतिशत), भवनाथपुर में 274 में से 121 (44 प्रतिशत) तथा कांडी प्रखंड की 413 योजनाओं में से 220 (47 प्रतिशत) योजनायें अपूर्ण हैं. ये रिपोर्ट 15 सितंबर तक के हैं.
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