कोलेस्ट्रॉल हृदय रोग की एक बड़ी वजह होता है. चटपटा खाना, तले हुए स्नैक्स, जंक फूड, हाई कैलोरी वाले ड्रिंक, आलू, अंडे आदि अनियंत्रित आहार लेने से शरीर में कोलेस्ट्रोल इकठ्ठा होता रहता है. लेकिन एक अच्छे डाइटप्लानको फॉलो कर कोलेस्ट्रोल को घटाया जा सकता है और ह्रदय को बिमारियों से बचाया जा सकता है.
इंडियन हार्ट स्टडी के अनुसार, कोलेस्ट्रोल से 50% तक हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. चूंकि कोलेस्ट्रोल खून में घुलता नहीं है इसलिए यह लेपोप्रोटीन में परिवर्तित होकर शरीर में मिलता है. लेपोप्रोटीन–फैट और प्रोटीन से बना है जिससे गुड कोलेस्ट्रोल और बैड कोलेस्ट्रोल बनते हैं.
लो डेंसिटी लेपोप्रोटीन यानी बैड कोलेस्ट्रोल-यह धमनियों कम लचीला कर उनके रक्त प्रवाह को रोकता है. यह धमनियों में रक्त के थक्के जमा कर उन्हें ब्लाक कर सकता है जिसके दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसे गंभीर परिणाम होते हैं. इसके अलावा धमनियों में रक्त जमा कर शरीर के अंगों तक रक्त प्रवाह बंद कर पैरालिसिस अटैक का भी कारण हो सकता है.
हाई डेंसिटी लेपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रोल- यह बैड कोलेस्ट्रोल को कम करता है. यह रक्त वाहिकाओं से बैड कोलेस्ट्रोल द्वारा जमा किये गए थक्कों को हटा कर शरीर के अंगों तक रक्त पहुँचाने में मदद करता है. ये ह्रदय रोगों से लड़ता है.
कोलेस्ट्रॉल को आहार, व्यायाम और दवाओं के जरिये कम किया जा सकता है. बैड कोलस्ट्रॉल का स्तर 100 मिग्रा/डेलि से कम होना चाहिए. हृदय रोग और मधुमेह रोग से ग्रस्त व्यक्ति का बैड कोलेस्ट्रोल 70 मिग्रा/डेलि से कम हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए. इससे ज्यादा होने पर हार्ट अटैक और पैरालिसिस का खतरा बढ़ जाता है.
भोजन की कुल कैलोरी का 30% भाग फैट के जरिए शरीर में आना चाहिए. इसके लिए उचित खान-पान और शरीरिक कार्यशीलता बनी रहना जरूरी है. आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, खाना पकाने में सरसों तेल की जगह ऑलिव ऑइल का इस्तेमाल, सप्ताह में सिर्फ दो अण्डों का सेवन, फलों में केला, आम, चीकू, अंगूर का सेवन नहीं करना चाहिए.
प्रतिदिन सैर की आदत डालें. इसके अलावा रोजाना 40 से 60 मिनट का एक्सरसाइज को दें. साथ ही डॉक्टर की सलाह पर दवायें लें.