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एनआरएचएम घोटाला : इस सप्ताह मायावती से पूछताछ कर सकती है सीबीआई

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में धन की कथित गड़बड़ी के सिलसिले में सीबीआई इस सप्ताह उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा नेता मायावती से पूछताछ कर सकती है. सीबीआई के सूत्रों ने आज कहा कि एजेंसी उत्तर प्रदेश को एनआरएचएम के तहत मिले 8000 करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष के […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) में धन की कथित गड़बड़ी के सिलसिले में सीबीआई इस सप्ताह उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा नेता मायावती से पूछताछ कर सकती है. सीबीआई के सूत्रों ने आज कहा कि एजेंसी उत्तर प्रदेश को एनआरएचएम के तहत मिले 8000 करोड़ रुपये के केंद्रीय कोष के कथित दुरपयोग में बड़ी साजिश का पता लगाने के लिहाज से पहले ही मायावती से पूछताछ का इरादा जता चुकी है.

सूत्रों के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री से इस सप्ताह यहां या लखनऊ में पूछताछ की जा सकती है. मायावती से गवाह के तौर पर पूछताछ की जाएगी या संदिग्ध के तौर पर, इस मुद्दे पर अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है. सूत्रों ने इस बाबत कहा कि सबकुछ मायावती के बयानों पर निर्भर करेगा.

इस बीच सीबीआई निदेशक अनिल सिन्हा ने आज इस बात पर जोर दिया कि मामले की जांच में जिस भी कार्रवाई की जरुरत पडेगी, एजेंसी करेगी. सिन्हा ने कहा, ‘‘एजेंसी जांच की मांग के अनुरुप आगे बढेगी.’ सीबीआई ने एनआरएचएम घोटाले से जुडे दो विशिष्ट मुद्दों – स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विभाजन और जिला परियोजना अधिकारियों की नियुक्ति पर मायावती से पूछताछ करने का फैसला किया है.

सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि यह कदम मामले में वृहद षडयंत्र को उजागर करने की एक कोशिश है. उधर, इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मायावती ने अपने खिलाफ सीबीआई जांच के समय पर आज सवाल किया और कहा कि यह कदम उनकी पार्टी का ‘‘मनोबल गिराने’ और जनता से किए वादे पूरे करने में सरकार की ‘‘नाकामी’ की तरफ से लोगों का ध्यान बंटाने की एक कोशिश है.

मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. भाजपा सीबीआई का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है और उसे इस तरह के तरीके छोड़ देने चाहिए क्योंकि उसे पहले भी ऐसे प्रयास महंगे पड़ चुके हैं.’

इधर आज मायावती ने करोड़ों रुपये के एनआरएचएम घोटाला मामले में उनसे पूछताछ करने के सीबीआई के निर्णय के बाद भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर सीबीआई का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और कहा कि इस प्रयास से ‘‘राजनीतिक बदले की भावना’ की बू आती है.

यह दावा करते हुए कि इस घोटाले से उनका कोई संबंध नहीं था, उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने साथ ही कहा कि सीबीआई उनकी जांच करने को स्वतंत्र है और यह भी कहा कि वह घुटने टेकने वाली नहीं हैं. बसपा नेता ने उनके खिलाफ सीबीआई की जांच के समय को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सब उनकी पार्टी का मनोबल गिराने और जनता से किये गये अपने वादे को पूरा करने में सरकार की ‘‘विफलता’ से ध्यान हटाने का प्रयास है.

मायावती ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. भाजपा सीबीआई का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है और उसे इस तरह की चालों से बाज आना चाहिए क्योंकि इस तरह के प्रयास उन्हें पहले भी भारी पड़ चुके हैं. सीबीआई के निदेशक अनिल सिन्हा ने कहा कि एनआरएचएम घोटाले की जांच में एजेंसी जरुरत के हिसाब से कदम बढ़ायेगी.
सिन्हा ने मीडिया से कहा, ‘‘एनआरएचएम घोटाले की जांच में एजेंसी जरुरत के हिसाब से कदम बढ़ायेगी. सिन्हा ने इस बाबत कोई ब्योरा देने से इनकार कर दिया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले में 48 आरोपपत्र दाखिल करने के बाद बसपा प्रमुख से पूछताछ की क्या जरुरत थी.
सीबीआई ने एनआरएचएम घोटाले से जुडे दो विशिष्ट मुद्दों – स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विभाजन और जिला परियोजना अधिकारियों की नियुक्ति पर पूछताछ करने के लिए कल मायावती को बुलाया था. सीबीआई सूत्रों ने दावा किया कि यह कदम मामले में वृहत्तर षडयंत्र को उजागर करने की एक कोशिश था.
बसपा प्रमुख ने दावा किया कि घोटाले के प्रकाश में आने के चार साल बाद उनसे पूछताछ करने के निर्णय से सिर्फ राजनीतिक बदले की भावना की बू आती है. उन्होंने कहा कि इससे पहले कि सीबीआई का एक अधिकारी मुझसे मिलता, यह खबर कि एनआरएचएम घोटाले में मुझसे पूछताछ हो सकती है ,मीडिया को लीक कर दी गई. इसका उद्देश्य बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुझे और मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को हतोत्साहित करना है.
मायावती ने कहा कि जनता को गुमराह करने की इस तरह की चाल से भाजपा को किसी भी तरह से फायदा नहीं होगा. उन्होंने कहा, ‘‘मैं दबाव के आगे नहीं झुकूंगी. लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि एजेंसी का निर्णय कुछ ऐसे ‘‘जातिवादी अधिकारियों’ की करतूत हो सकती है जो दलितों और पिछडों को नापसंद करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह संभव है कि भाजपा आलाकमान इन अधिकारियों के प्रयास से अवगत न न हो… इसकी जांच होनी चाहिए.’ इस मुद्दे पर अपने रुख को साफ करते हुए मायावती ने कहा कि निर्णय उनकी कैबिनेट द्वारा किया गया और उसके बाद प्रत्येक जिले में दो मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में निर्णय संबंधित मंत्री बाबूलाल कुशवाहा द्वारा किया गया.

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