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सैदपुर कैंपस से बैरंग लौटी पुलिस, पूरा फोर्स भी नहीं हटा सका कब्जा
पटना : पटना विश्वविद्यालय के सैदपुर कैंपस में दिन भर ड्रामा चलता रहा, लेकिन जिला व पीयू प्रशासन की टीम वहां से अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रही. सैदपुर कैंपस ही पुलिस फोर्स के लिए असली परीक्षा थी, जिसमें वह पूरी तरह फेल हो गयी. पर्याप्त पुलिस फोर्स होने के बाद भी कैंपस से एक […]
पटना : पटना विश्वविद्यालय के सैदपुर कैंपस में दिन भर ड्रामा चलता रहा, लेकिन जिला व पीयू प्रशासन की टीम वहां से अवैध अतिक्रमण हटाने में नाकाम रही. सैदपुर कैंपस ही पुलिस फोर्स के लिए असली परीक्षा थी, जिसमें वह पूरी तरह फेल हो गयी. पर्याप्त पुलिस फोर्स होने के बाद भी कैंपस से एक भी अतिक्रमण नहीं हट सका. इतना ही नहीं, सैदपुर कैंपस के शिमला हाउस में पुलिस फोर्स को अतिक्रमणकारियों ने दूर तक खदेड़ दिया.
पटना विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन की टीम सुबह साढ़े 11 बजे ही सैदपुर कैंपस पहुंच गयी थी, लेकिन दो बजे तक वह वहां से एक अवैध निर्माण को भी नहीं हटा सका. इसके बाद टीम ने दोपहर दो बजे तक स्वयं ही अतिक्रमित जगहों को खाली करने
का निर्देश दिया, लेकिन इसका असर किसी पर भी नहीं पड़ा. इसके बाद जब पुलिस जबरन खाली कराने के लिए आगे बढ़ी, तो अतिक्रमणकारी हंगामा करते हुए उग्र हो गये और पुलिस फोर्स को दूर तक खदेड़ दिया. इसके बाद अतिरिक्त पुलिस फोर्स और वज्र वाहन भी बुलाया गये, लेकिन सफलता नहीं मिली.
27 के बाद फिर अभियान
यूनिवर्सिटी इंजीनियर सचिन दयाल ने कहा कि एसडीएम से लोगों ने 27 सितंबर तक का समय मांगा है और उन्होंने उन्हें समय दे दिया है. अब 27 सितंबर के बाद ही किसी दिन तय करके अतिक्रमण हटाने का अभियान चलेगा. हॉस्टल के छात्र इस बात पर अड़े हैं कि जब तक शिमला भवन खाली नहीं होगा, वे भी खाली नहीं करेंगे. इसी वजह से और समय समाप्त होने की वजह से सैदपुर का हॉस्टल भी शिनवार को खाली नहीं हो सका. कोर्ट को 22 सितंबर को रिपोर्ट देनी है और अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी जायेगी.
आत्मदाह का प्रयास
दोबारा जब टीम खाली कराने के लिए आगे बढ़ी, तो गौतम कुमार नामक व्यक्ति छप्पड़ पर चढ़ गया और उसने अपने शरीर पर केरोसिन छिड़क कर आग लगाने की कोशिश की. उसे रोकने के लिए तीन-चार लोग छप्पड़ पर चढ़ गये. इस चक्कर में छप्पड़ टूट गया. इससे वहां पर भगदड़ मच गयी. माहौल बिगड़ते देख एसडीपीओ ने शिमला भवन के पास अवैध निर्माण करके बनाये गये घरों में रह रहे लोगों को हटने के लिए शाम तक मान-मनौव्वल करते रहे, लेकिन वे नहीं माने. मालूम हो कि शिमला भवन के नाम से यहां पूरा एक कस्बा बसा हुआ है. यहां लोगों ने छोटे-छोटे छप्पड़नुमा घर बना लिये हैं. करीब 250 लोग वहां रहते हैं. इसमें ज्यादातर गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग लोग आकर बस गये हैं.
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