संयुक्त राष्ट्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्तराष्ट्र प्रमुख बान की-मून को लिखे एक पत्र में ‘राज्येत्तर सैन्य तत्वों’ की ओर से उपजे खतरों का उल्लेख करते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक 70वें वर्ष का उपयोग ‘आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न किये जाने’ का ‘स्पष्ट संदेश’ देने के लिए किया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा की नयी चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक प्रभावी बनाया जाना चाहिए. संयुक्तराष्ट्र का जन्म दूसरे विश्वयुद्ध के बाद उस समय हुआ था, जब संघर्ष विभिन्न देशों के बीच था.’
भारत पर पाकिस्तान की ओर से मंडराने वाले खतरों का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, ‘हालांकि अब हम एक ऐसे दौर में रह रहे हैं, जहां राज्येत्तर सैन्य कारक बडे घटक हो गये हैं.’ उन्होंने इस साल अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ समग्र समझौते को अंगीकार करने का भी आह्वान किया. चार जुलाई को लिखा गया यह पत्र कल एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा उपलब्ध करवाया गया. मोदी 25 सितंबर को आयोजित होने वाले उच्च स्तरीय सतत विकास सम्मेलन को संबोधित करने के लिए लगभग एक सप्ताह में इस वैश्विक संस्था के मुख्यालय में पहुंचेंगे.
पत्र में, मोदी ने कहा कि आतंकवाद और हिंसा, बर्दाश्त न किया जा सकने वाला चरमपंथ पहले देशों और समाज के लिए प्राथमिक खतरे के रूप में मौजूद नहीं था. उन्होंने कहा, ‘निसंदेह, भौगोलिक दायरे के विस्तार, व्यापक संसाधनों और अपनी विचारधारा के प्रसार के नये साधनों एवं नियुक्तियों के चलते आतंकवाद और चरमपंथ के प्रकोप ने एक नया आयाम धारण कर लिया है, जिसके लिए एक समग्र वैश्विक रणनीति की जरुरत है.’
पत्र में प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘हमें इस ऐतिहासिक वर्ष का इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ बिल्कुल सहनशीलता न अपनाये जाने का स्पष्ट संदेश साझा तौर पर देने के लिए करना चाहिए.’ उन्होंने लिखा, ‘इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि इस साल संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ समग्र समझौते को अंगीकार किया जाए.’ मोदी ने कहा कि 70 साल से विश्व संयुक्त राष्ट्र के कारण एक ‘बेहतर स्थान’ रहा है लेकिन वर्ष 1945 के बाद से विश्व नाटकीय ढंग से बदला है.
उन्होंने कहा, ‘शांति और सुरक्षा पर उपजे खतरे कहीं ज्यादा जटिल, अप्रत्याशित और अपरिभाषित हो गये हैं. हमारा जीवन कई तरीकों से वैश्विक हो गया है लेकिन हमारी पहचानों को लेकर कुछ गडबडियां भी बढ रही हैं.’
मोदी ने कहा कि संयुक्तराष्ट्र प्रमुख को यह पत्र लिखने का उनका उद्देश्य ‘हम सबको यह याद दिलाना है कि हमें इस अवसर का इस्तेमाल इस बात पर दोबारा गौर करने के लिए करना चाहिए कि किस तरह से एक बहुपक्षीय व्यवस्था को उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ज्यादा समावेशी, प्रभावी और सर्वश्रेष्ठ बनाया जा सकता है, जिसके लिए इसे अपनाया गया था.’ इस वैश्विक संस्था का 70वां वर्ष एक ऐसा ऐतिहासिक अवसर है, जब सदस्य देशों को उससे यह पूछना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र मौजूदा समय की चुनौतियों से निपटने में पर्याप्त तरह से सक्षम है.