नयी दिल्ली : राजधानी दिल्ली में तीन वर्षीय बच्ची की डेंगू से मौत होने से इस बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है जबकि इसके मामलों की संख्या दो हजार पार कर गई है. इससे राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू का भय आज और बढ़ गया है.
दिल्ली सरकार ने कहा कि वह आपात स्थिति में मरीजों को इलाज मुहैया कराने से इनकार करने वाले अस्पतालों को सजा देने के लिए एक अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है. दिल्ली सरकार पर स्थिति से प्रभावी तरीके से नहीं निपटने के आरोप लग रहे हैं.
छोटी बच्ची नेहा की कल साकेत सिटी अस्पताल में मौत हो गई और उसके दुखी अभिभावकों ने आरोप लगाया कि एक सरकारी अस्पताल और दक्षिणी दिल्ली के एक निजी नर्सिंग होम ने उसे डेंगू का उचित इलाज मुहैया नहीं कराया. संगम विहार क्षेत्र की निवासी नेहा ऐसा तीसरा बच्चा है जिसकी शहर में कथित तौर पर चिकित्सकीय लापरवाही से डेंगू से मौत हुई है.
ऐसे में जब अस्पताल डेंगू के मरीजों से भरे पडे हैं, निगम अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष डेंगू के कुल मामलों की संख्या बढ़कर दो हजार पार कर गई है. इसमें से 1200 मामले पिछले दो सप्ताह में सामने आये हैं. अधिकारियों ने कहा कि नये अध्यादेश में सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले अस्पतालों का पंजीकरण रद्द करने का प्रावधान हो सकता है.
कल दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने निजी अस्पतालों को निर्देश दिया था कि वे डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए बिस्तरों की संख्या में 10…20 प्रतिशत की जल्द से जल्द बढोतरी करें. उन्होंने इसके साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से संचालित अस्पतालों को भी निर्देश दिया था कि वे रविवार तक बिस्तरों की संख्या एक हजार तक बढायें.
ऐसे में जब डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं, आप ने कहा कि वह मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने के लिए पूरे दिल्ली में फीवर क्लीनिक्स की स्थापना करेगी. सत्ताधारी पार्टी ने भाजपा शासित निगमों पर इस बीमारी को फैलने से रोकने में पूर्ण रुप से विफल रहने का आरोप लगाया था.