सिगरेट पीने वाले जानते हैं कि उनकी आदत उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है और इससे उनकी उम्र कम हो रही है. फिर भी क्या कारण है कि सिगरेट पीने वाला व्यक्ति भी धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति की तरह ही लम्बी आयु जीता है?
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसका कारण व्यक्ति के ‘खास जीन’ को बताया है. दरअसल ये व्यक्ति के ‘दीर्घायु’ जीन का कमाल है जो धूम्रपान करने की आदत के रहते हुए भी व्यक्ति को लम्बी आयु प्रदान करता है. धूम्रपान से होने वाला कैंसर तभी होता है जब ये दीर्घायु जीन व्यक्ति के शरीर में 11 गुना कम पाए जाते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये जीन शरीर की कोशिकाओं को खुद को स्वास्थ्य बनाए रखने, मरम्मत करने, पर्यावरण खतरे से और व्यक्ति की उम्र बढ़ने से बचाता है.
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के आंकड़े कहते हैं कि तम्बाकू अपने आधे से ज्यादा उपभोगकर्ताओं को मारता है. तम्बाकू एक महामारी की तरह है जो हर साल होने वाली 6 करोड़ लोगों की मौत का ज़िम्मेदार है.
अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, कैंसर से होने वाली मौते 30% हैं जिनमें फेफड़ों के कैंसर से मरने वालों में पुरुषों की संख्या 87% है और महिलाओं की संख्या 70% है. पिछले शोध द्वारा ये बात सामने आई थी कि धुम्रपान द्वारा व्यक्ति में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया बढ़ जाती है और रोगों से लड़ पाने की क्षमता कम हो जाती हैं. लेकिन फिर भी सभी धुम्रपान करने वाले व्यक्ति कम उम्र नहीं बल्कि अपनी पूरी उम्र जीते हैं. यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है जिसकी जाँच के लिए नया शोध किया गया.
शोध में पाया गया है कि यह जीन ‘दृढ़ता के साथ जीवित रहने’ की इच्छा के साथ जुड़ा है. अध्ययन से जुड़े, यूसीएलए के मॉर्गन लेविन ने कहा, ‘हमने ऐसे आनुवंशिक लक्षणों की खोज की है जो दीर्घायु को बढ़ाने में सहायक हैं और ऐसा क्या है जो इन लक्षणों को और बढ़ा सकता है इसकी हम लगातार खोज कर रहे हैं’. ये जीन कोशिकाओं की खुद से मरमत कर व्यक्ति की उम्र बढ़ाने में मदद करते हैं.
ब्रिटेन 2010 में 102 साल की सबसे बुज़ुर्ग महिला की मौत हुई जो अपने जीवनकाल में 170,000 सिगरेट पी चुकी थी. स्मोकिंग करते हुए 102 साल का जीवन जीना मुमकिन है? इस हैरान करने वाली खबर के बाद अमेरिकी संस्थान ने इस पर अध्ययन शुरू किया. जिसके बाद यह पाया गया की व्यक्ति के जीन ही उनकी उम्र को संरक्षण देते हैं.
यह रिपोर्ट जर्नल्स ऑफ़ जेरोनोटोलोजी, सीरीज ए: बायोलॉजिकल साइंस एंड मेडिकल साइंस में प्रकाशित की गई है.