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ओसामा के खुरापाती दिमाग की उपज थी 9/11, जानिए कैसे रची थी साजिश

9/11 एक ऐसी घटनाहै, जिसने दुनियाभर काआतंकवाद को देखने का नजरिया बदल दिया. पूरी दुनिया अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटरपरआज ही के दिन 2001 हुए हमले के बाद हैरान थी. कई देशों ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर दोबारा बैठकर गौर किया. इस हमले ने यह अहसास करा दिया कि खतरा सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों से आतंकवाद […]

9/11 एक ऐसी घटनाहै, जिसने दुनियाभर काआतंकवाद को देखने का नजरिया बदल दिया. पूरी दुनिया अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटरपरआज ही के दिन 2001 हुए हमले के बाद हैरान थी. कई देशों ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था पर दोबारा बैठकर गौर किया. इस हमले ने यह अहसास करा दिया कि खतरा सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों से आतंकवाद के घुसपैठ का नहीं है, बल्कि आसमान से भी इस तरह के खतरे कहर बरपा सकते हैं. अमेरिका की शान माने जाने वाला वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को कुछ आतंकवादियों ने मिलकर बर्बाद कर दिया. इस घटना को पूरी दुनिया में जिसने भी देखा वह हैरान रह गया.
आतंकवादी संगठन अलकायदा और उसके मुखिया ओसामा बिन लादेन ने इस हमले के जिम्मेदारी ली और आगे भी इस तरह के हमले की चेतावनी दी. 2001 से लेकर 2015 तक पूरी दुनिया में कई आतंकी हमले हुए, भारत, पाकिस्तान, इंग्लैंड, पेरिस कई देशों में लेकिन तब से लेकर अबतक आतंक का चेहरा और खतरनाक और सुनियोजित होता चला गया. इंटरनेट का इस्तेमाल भी आतंकी अपने प्लान को आगे बढ़ाने में करने लगे. कई मामलों में 9/11 के हमले ने आतंकियों के मंसूबे को और मजबूत कर दिया. हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद से ढूंढ कर ओसामा बिल लादेन को 2 मई 2011 को उसके किये की सजा दे दी. 9/11 के हमले की बरसी पर पढ़िये इस घटना से जुड़ी अहम बातें
ओसामा के खुरापाती दिमाग की उपज थी 9/11
ओसामा बिल लादेन और उसका संगठन अलकायदा बहुत पहले से वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले की योजना बना रहा था. इस तरह के हमले की योजना ओसामा बिन लादेन ने अपने दिमाग में बहुत पहले बना रखी थी. ओसामा इस प्लान को बड़ी गोपनीयता के साथ पूरा करना चाहथा था. इस हमले को पूरा करने के लिए ऐसे लोगों की तलाश की गयी जो विदेशों में आसानी से जा सके. प्रशिक्षण ले सकें. इसके लिए आतंकवादियों को हवाई जहाज चलाने का प्रशिक्षण दिया गया. उनको जरूरी ट्रेनिंग मुहैया करायी गयी. आतंकियों ने प्लेन की हर बारीकियां को समझा और हमले के लिए तैयार हुए. उन्हें पता था कि वो इस हमले के बाद नहीं बचेंगे, इसलिए उन्होंने अपने जीवन का हर आनंद उसी दौरान लेने की पूरी कोशिश की. जांच अधिकारियों को कई ऐसे तथ्य मिले जिससे पता चला कि आतंकी अपना अंत अच्छी तरह जानते थे. उन्हें पता था कि इस हमले के बाद उनका नामोंनिशान नहीं बचेगा. ओसामा बिन लादेन ने आतंकियों को इस कदर तैयार किया था कि उन्हें लगा कि शहीद होंगे और मरने के बाद उन्हें जनंत नसीब होगी.
57 देशों के 3000 नागरिकों की मौत
इस हमले के लिए आतंकियों ने 4 हवाईजहाज को हाइजैक किया था. कुल 19 आतंकवादी अलग-अलग प्लेन पर सवार थे और लगभग यात्रियों समेत 57 देशों के 3000 लोगों की मौत हो गयी थी. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के हमले की जब जांच हुई तो पता चला कि इस हमले में आतंककियों का निशाना व्हाइट हाउस था. दो प्लेन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकरा दिये गये तीसरे को पेंटागन में गिरा दिया गया और चौथा शेंकविले के खेतमेंगिरा. इन चारों हवाईजहाज में सवार यात्रियों में से किसी की भी जान नहीं बची-
चार हवाईजहाज और आसमान पर मंडराता खौफ
हर सुबह की तरह अमेरिकियों के लिए भी 11 सितंबर 2001 की तरह आम सी सुबह थी. ऑफिस जाने का वक्त होने लगा था. तभी सुबह करीब 8.46 मिनटसे अमेरिका के सबसे ऊचे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के एक टावर से धुएं का गुबार नजर आने लगा. जबतक वहां मौजूद लोग कुछ समझते इससे पहले ही 9:03 मीनट पर एक दूसरा विमान दूसरे टावर से टकराया. अब सबकी समझ में आने लगा था कि यह कोई बड़ा आतंकी हमला है. इन दोनों विमान के टकराने के बाद टावर में भंयकर आग लग गयी. टावर में फंसे लोग बाहर निकलने लगे. कई लोग अपनी जान के साथ दूसरों को बचाने की कोशिश करने लगे. इसी बीच टीवी में खबर आयी की 9:47 मिनट पर वाशिंगटन स्थित रक्षा विभाग के मुख्यालय पर भी हमले की कोशिश की गयी है. अमेरिकियों के लिए एक आम सी सुबह अब बेहद तकलीफ देह और हैरान करने वाली थी.
हमले से उबरने में अभी भी लगेगा वक्त
9/11 हमले में हजारों लोग मारे गये आज भी लोग उस भयानक घटना को भूले नहीं हैं. बहुतों ने अपनों को खो दिया. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर नये तरीके से बनाया गया है. उस हमले को भुलाने की कोशिश की जा रही है. नयी इमारत ने उसकी जगह ले ली है 104 मंजिला इमारत फिर एक बार अमेरिका की शान बन गयी है. इस इमारत से आसपास के 80 किमी का नजारा बेहद रोमांचक दिखता है, लेकिन यहां से एक खौफनाक हमले की यादें अभी भी जुड़ी है, जो लोगों को अभी भी परेशान करती है. इस इमारत को बनाने में 8 साल लग गये. इस इमारत का 60 प्रतिशत हिस्सा किराये पर दिया गया है.

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