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कृषि विकास का रोड मैप तैयार करेगी नीति : मंत्री

पहल .राज्य सरकार ने कृषि नीति का तैयार किया नया प्रारूप रांची : कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि राज्य गठन के 14 साल के बाद सरकार कृषि नीति जमीन पर उतरने की तैयारी में है. यह राज्य में कृषि विकास का रोड मैप तैयार करेगी. यह मॉडल कृषि नीति होगी. मंत्री प्रोजेक्ट […]

पहल .राज्य सरकार ने कृषि नीति का तैयार किया नया प्रारूप
रांची : कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि राज्य गठन के 14 साल के बाद सरकार कृषि नीति जमीन पर उतरने की तैयारी में है. यह राज्य में कृषि विकास का रोड मैप तैयार करेगी. यह मॉडल कृषि नीति होगी. मंत्री प्रोजेक्ट भवन स्थित सभागार में कृषि नीति के प्रारूप के चर्चा के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने कहा: आने वाले समय में इसी नीति के आलोक में काम किया जायेगा.
सरकार कृषि उत्पादों के भंडारण की दिशा में भी काम करेगी. इसके लिए प्रखंड स्तर पर गोदाम बनाया जायेगा. भारत सरकार ने किसानों की खेत तक बिजली पहुंचाने का निर्णय लिया है. इसके लिए राज्य को 3600 करोड़ रुपये मिलेंगे. चेक डैम का इस्टीमेट भी डैम के स्थान और साइज से हिसाब से बनना चाहिए. यह नीचे स्तर से बनाया जाना चाहिए.
डेमोंस्ट्रेशन का फायदा किसानों को दिलायें : कृषि सचिव डॉ नितीन मदन कुलकर्णी ने कहा कि करीब 20 दिन पूर्व कृषि नीति का प्रारूप वेबसाइट पर डाल दिया गया था. कई सुझाव भी आये. यहां अधिकारियों ने एक से बढ़कर एक सुझाव दिये, लेकिन यह फील्ड में क्यों नहीं उतरता है? बीएयू को किसी ने अच्छा काम करने से नहीं रोका है. विभागीय पदाधिकारियों को किसी ने विकास करने से नहीं रोका. डेमोंस्ट्रेशन केवल अनुसंधान फील्ड में करने से नहीं होगा. दुर्भाग्य है कि हम अनुसंधान का फायदा किसानों को नहीं दे पा रहे हैं.
सूचना के टूल के रूप में हो नीति का उपयोग : बीएयू के कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन ने कहा कि कृषि नीति का उपयोग सूचना के टूल के रूप में होना चाहिए. कृषि के क्षेत्र में उद्यम विकसित करने की जरूरत है. कृषि उत्पादों का वैल्यू एडीशन होना चाहिए. कृषि के पारंपरिक तरीके और फसल पर भी ध्यान देना चाहिए. इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत कृषि निदेशक राज कुमार ने किया. जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने कृषि नीति के प्रारूप की जानकारी दी.
क्या-क्या है प्रारूप में
-बीएयू में शुष्क भूमि अनुसंधान केंद्र की स्थापना होगी
-बीज प्रमाणन इकाई की स्थापना होगी
-हर जिले में रखे जायेंगे सीड सर्टिफिकेशन ऑफिसर
-क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र दारीसाई को कृषि महाविद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा
-किसानों को अनुदान पर मिलेगा बिजली, पेट्रोल व डीजल
-पुष्प उत्पादकों को अगले 10 साल टैक्स में छूट मिलेगी
-रांची में एयर कारगो कांप्लेक्स का निर्माण होगा
-कमजोर किसानों को चार फीसदी दर पर ऋण की सुविधा दी जायेगी
-कृषि महाविद्यालय में बौद्धिक संपदा अधिकार की स्थापना की जायेगी
-राज्य किसान आयोग व राज्य कृषि मूल्य आयोग का गठन होगा
-महिलाओं का नाम कृषि भूमि में शामिल किया जायेगा
-भूमि संसाधन प्रबंधन, जल संसाधन प्रबंधन, जैविक खेती प्रबंधन, फॉर्म इनपुट प्रबंधन, कृषि सांख्यिकी व कृषि सूचना व संचार निदेशालय का गठन होगा
क्या-क्या आये सुझाव
-कृषि नीति में सहकारिता को भी शामिल किया जाये (अशोक सिन्हा, कृषि अधिकारी, चतरा)
-सब्जी के लिए अलग कॉरिडोर बनाया जाये (किरण, केवीके सरायकेला).
-रासायनिक उर्वरक को वैट मुक्त किया जाये (मीनू महतो, किसान, हजारीबाग)
-मैन पावर की कमी दूर किये बिना नीति सफल नहीं होगी (पीएम एक्का, जेडीए, हजारीबाग)
-फसल बीमा आयोग का गठन हो (रजिया महतो, रामगढ़)
-स्थानीय स्तर पर वेदर मॉनिटरिंग नेटवर्क का गठन हो (डॉ ए बदूद, बीएयू)
-जनसेवकों को कृषि कार्य में लगाया जाये (रंजय कुमार सिंह, केवीके चतरा)
-खेतों के मेढ़ में नीम के पौधे लगाये जाये, इससे मिट्टी की अम्लियता खत्म होगी (शंकर भंडारी, जामताड़ा)
-कृषि नीति में वैकल्पिक खेती की भी चर्चा हो (डीएन सिंह, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी)
-एग्रीकल्चर कंजरवेशन एक्ट का गठन हो (राजीव कुमार, निदेशक, भूमि संरक्षण)
-कृषि विकास की दर निर्धारित की जाये (डॉ आरपी सिंह रतन, निदेशक प्रसार शिक्षा, बीएयू)
-डेयरी को कृषि का दरजा दिया जाये (डॉ आलोक पांडेय, निदेशक, गव्य)
-कृषि नीति की जगह कृषि व कृषक नीति नाम दिया जाये (स्वामी भवेशानंद, सचिव, आरके मिशन)

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