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बीएसएनएल में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी

फर्जीवाड़ा. अखबारों में विज्ञापन देकर युवाओं को फंसा रहा था जाल में पटना : बीएसएनएल जैसे केंद्रीय उपक्रम में नौकरी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी करनेवाले एक गिरोह का परदाफाश हुआ है. गिरोह के सरगना धनंजय कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार मुर्मु को आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. इसने […]

फर्जीवाड़ा. अखबारों में विज्ञापन देकर युवाओं को फंसा रहा था जाल में
पटना : बीएसएनएल जैसे केंद्रीय उपक्रम में नौकरी दिलाने के नाम पर ऑनलाइन ठगी करनेवाले एक गिरोह का परदाफाश हुआ है. गिरोह के सरगना धनंजय कुमार सिंह उर्फ दिनेश कुमार मुर्मु को आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. इसने बीएसएनएल के नाम से वकायदा फर्जी वेबसाइट बना रखी थी. हालांकि इसमें बीएसएनएल से मिलते-जुलते बीएसएस नामक संस्थान का पता दे रखा था. इओयू के आइजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि साइबर अपराध के इस बड़े मामले का खुलासा किया गया है.
इसमें सरगना धनंजय को उसके सहयोगी भरत कुमार के साथ शहर के अनिसाबाद स्थित एक घर से गिरफ्तार किया गया. इनके पास से 45 हजार कैश के साथ-साथ बड़ी संख्या में भारतीय सेना में कई पदों से संबंधित फर्जी आइकार्ड, ड्रायविंग लाइसेंस, पैनकार्ड, वोटरकार्ड समेत अन्य कई तरह के दस्तावेज जब्त किये गये हैं. इसके अलावा कई सरकारी कार्यालयों के मुहर समेत अन्य कई तरह के जाली दस्तावेज मिले हैं.
अखबार को भी करना चाहिए क्रॉस वेरीफिकेशन
सरगना धनंजय ने अपनी फोटो को अलग-अलग नाम से सेना में विभिन्न पदों पर बतौर पदस्थापित होकर फर्जी तरीके से कई आइकार्ड बना लिये थे. इनका उपयोग वे अपनी फर्जीवाड़ा के कारोबार में अलग-अलग स्थानों पर धौंस जमाने के लिए करता था. इसका यूपी के बुलंदशहर में स्थित पीएनबी बैंक में एक एकाउंट भी जब्त किया गया है, जिसमें 30 लाख रुपये हैं.
इसके अलावा पटना के सगुना मोड़ स्थित केनरा बैंक में 1.25 लाख रुपये समेत अन्य कई बैंक एकाउंट भी जब्त किये गये हैं. इस कारण से इस गैंग में दूसरे राज्यों के सदस्यों के शामिल होने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि आइजी ने इस मामले कहा कि अभी इन बिंदुओं पर जांच चल रही है. उन्होंने कहा कि इस गैंग में शामिल अन्य लोगों की भी तलाश जारी है.
छानबीन में यह बात भी सामने आयी कि धनंजय पहले भी इस तरह के फर्जीवाड़े में शामिल है. इस तरह के विज्ञापन या कोई रोजगार संबंधित जानकारी को छापने से पहले अखबार को भी इनमें दिये गये तथ्यों के आधार पर क्रॉस वेरीफिकेशन करना चाहिए. कि यह फर्जी है या नहीं.
यह है पूरा मामला
23 फरवरी, 2015 को इस फर्जी कंपनी ने रोजगार समाचार और विज्ञापन के माध्यम से बीएसएनएल में विभिन्न पदों पर कुल 5,842 लोगों की बहाली करने की सूचना प्रकाशित करवायी. इसके बाद इसमें आवेदन करनेवाले युवाओं के साथ अलग-अलग तरीके से फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. पहले आवेदन के नाम पर पैसे ठगे. फिर ज्वाइनिंग के नाम पर. कुछ युवाओं को दिल्ली बुलाया, जहां उन्हें यह बताया गया कि यहां सिर्फ काउंसेलिंग होगी.
ज्वाइनिंग दूसरे स्थान पर होगी. परंतु जहां ज्वाइनिंग का पता दिया गया, वहां कार्यालय ही नहीं था. कई छात्रों ने बीएसएनएल कार्यालय में जाकर इस तरह की बहाली के बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी. तब बीएसएनएल के जीएम ने इस मामले की शिकायत इओयू से मई, 2015 में की. इओयू ने प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन शुरू की.

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