नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार देश में बाहर से इस्पात की डंपिंग पर नियंत्रण करने के लिए कुछ और उपायों पर विचार कर रही है ताकि औने-पौने भाव पर आयात से घरेलू इस्पात विनिर्माताओं के समक्ष उत्पन्न कठिनाई से निपटा जा सके. जेटली ने इकॉनामिक्स पत्रिका द्वारा आयोजित ‘इंडिया समिट 2015′ में कहा ह्यह्यहम अन्य पहलों पर विचार कर रहे हैं और गंभीरता से पडताल कर रहे हैं ताकि क्षेत्रवार समस्या का समाधान हो सके. यह देश में स्टील की डंपिंग के खिलाफ सुरक्षात्मक उपाय हो सकता है.’ सरकार ने इस साल इस्पात आयात पर दो बार शुल्क बढाया है.
जेटली ने कहा ‘जहां तक इस्पात का सवाल है हमें इस्पात की खपत करने वाले उद्योगों और इस्पात इस्पात विनिर्माण उद्योग के हितों के बीच संतुलन बना कर चलना है. इसलिए हमने दो बार शुल्क थोडा बढाया है.’ विभिन्न खंडों में आयात में बढोतरी के मद्देनजर रक्षोपाय महानिदेशालय ने इस सप्ताह चीन, कोरिया, जापान और रूस से आयातित इस्पात की जांच शुरू की है. रक्षोपाय महानिदेशालय ने जब प्रथम दृष्ट्या पाया था कि कुछ विशेष किस्म के इस्पात का आयात बढने से घरेलू उत्पादकों को गंभीर नुकसान हुआ है. या उन पर इसका खतरा है. इसके बाद उसने कार्रवाई के लिए जांच शुरू की है.
घरेलू इस्पात उत्पादकों ने चीन, कोरिया, जापान और रुस से हॉट रोल्ड इस्पात जैसे उत्पादों और अन्य किस्मों के आया में बहुत तेजी की शिकायत की है. पिछले महीने सरकार ने लौह और इस्पात समेत मूल धातुओं पर आयात शुल्क में 2.5 प्रतिशत तक की बढोतरी की थी ताकि चीनी में मुद्रा युआन के अवमूल्यन के बाद वहां से होने वाले सस्ते आयात से निपटने में घरेलू कंपनियों की मदद की जा सके.
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