अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने का अधिकार सबको है. हमले और बाधाओं के बावजूद लोगों ने राज्य में हड़ताल को सफल बनाया और सरकार के तानाशाही रवैये का जवाब भी दिया. आरोप के मुताबिक तृणमूल सरकार महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही है.
टास्कफोर्स गठित किये जाते हैं लेकिन इनका क्या काम है, यह नहीं समझ में आता. इधर राज्य में किसानों और श्रमिकों की दशा बिगड़ती जा रही है. विगत तीन-चार वर्षों में कई किसानों ने आत्महत्या कर लिया. कल-कारखानों के बंद होने से श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं. युवाओं के रोजगार पर संकट बना हुआ है. इसके बावजूद इन मुद्दों का विरोध करने पर लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है. इधर डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि श्रमिक, किसान व लोगों के हित के लिए वामपंथियों का आंदोलन नहीं थमेगा. आगामी नौ सितंबर को विद्युत दर में वृद्धि के खिलाफ वामपंथी आंदोलनरत होंगे. आंदोलन के दौरान यदि वामपंथियों पर हमला हुआ तो वे फिर इसका प्रतिवाद करेंगे. प्रतिवाद के दौरान हमला हुआ तो विरोध जारी रहेगा.