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जातिवाद के खिलाफ एकजुटता जरूरी

संदीप दुबे कैलिफोर्निया से कभी एक अवसर बिहार जाने का मिला. मैंने बिहार के अघिकांश क्षेत्रों में वहां के लोगों की समस्या जानने की कोशिश की.कभी बिहार शिक्षा के प्रमुख केंदों में गिना जाता था. नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे. 1917 में पटना विश्वविद्यालय स्थापित हुआ, जो काफी […]

संदीप दुबे
कैलिफोर्निया से
कभी एक अवसर बिहार जाने का मिला. मैंने बिहार के अघिकांश क्षेत्रों में वहां के लोगों की समस्या जानने की कोशिश की.कभी बिहार शिक्षा के प्रमुख केंदों में गिना जाता था. नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे. 1917 में पटना विश्वविद्यालय स्थापित हुआ, जो काफी हद तक अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने में सफल रहा. किन्तु, स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति तथा अकर्मण्यता के प्रवेश से शिक्षा के स्तर में गिरावट आयी.
हाल के दिनों में उच्च शिक्षा की स्थिति सुधरने लगी है. किन्तु, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा भाड़े का टट्ट बन कर रह गया है. हाल में पटना में आइआइटी और एनआइटी, हाजीपुर में केंद्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा केंद्रीय विश्वविद्यालय खोला गया है. गांवों में सड़क तो पहुंचे लेकिन, गांवों के लोगों की जो स्थिति है वह पहले की अपेक्षा और बिगड़ी है. मैंने देखा है कि एक घर के सामने दो भैंस बंधी थी. भैंस के गोबर के पास एक छोटा सा बच्चा बैठ कर खाना खा रहा था. लोग रात में उसी गोबर के ढेर के पास सोते भी हैं. ऐसी ढेर सारी समस्याएं, जिनका जिक्र किया जा सकता है .
लेकिन, लोगों के दिमाग में एक बेहतर बिहार की परिकल्पना है. चिन्ता का विषय यह है कि गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के बीच में बसा बिहार आज वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में सबसे पिछड़े राज्यों में से एक गिना जाता है. बिहार से बाहर जिसके पास थोड़ी सी क्षमता, और शक्ति है, वह अपने बच्चों को बिहार से बाहर ही शिक्षा देना चाहता है.
क्योंकि बिहार के विश्वविद्यालय तीन साल की डिग्री छह साल में देते हैं. शिक्षा किसी भी राज्य की दिशा तय करने वाला सबसे बड़ा माध्यम होता है. लोगों की चाहत है कि आनेवाली सरकार शिक्षा की स्थिति सुधारने की दिशा में काम करेगी.
यदि बिहार में बेहतर विश्वविद्यालय, मेडिकल कालेज, इंटर कॉलेज खोले जायें, तो बाहर जा रहे धन को बचाया जा सकता है.स्वास्थ्य के क्षेत्र में मैंने देखा कि छोटी-छोटी बीमारियां मृत्यु का कारण बनती हैं. जिले में सही अस्पताल का न होना, एक चिंता का विषय है. हालांकि कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अभी और सुधार की जरूरत है. इस क्षेत्र पर आने वाली सरकार को फोकस करना होगा.
रोजगार के क्षेत्र में बिहार में बहुत काम करना बाकी है. बिहार में लोग मेहनती हैं. कम पढ़ा-लिखा आदमी भी ज्यादा से ज्यादा मेहनत कर अपना जीवन चला रहा है. कुशल कारीगर तथा कुशल व्यक्ति अपने काम को सही ढंग से कर सकता है. पलायन करने वाले लोगों की संख्या बहुत है.
आज भी जातिवाद बिहार की राजनीति का अभिन्न अंग बना हुआ है. मुङो लगता है कि बिहार के युवाओं को एकजुट होकर जातिवाद के खिलाफ संघर्ष करने की जरूरत है. बिहार का नौजवान ऊर्जावान है. वह राष्ट्र एवं समाज के निर्माण में अपनी मुख्य भूमिका चाहता है. उसे आज भी अच्छे नेता की तलाश है जो उसकी उंगली पकड ़कर कहे कि नेता तुम्हीं हो कल के.

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