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अमेरिका की दो टूक, आतंकी पनाहगाहों के खिलाफ पाक आक्रामक रवैया अपनाए

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तानी नेतृत्व पर देश के भीतर आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ‘आक्रामक रवैया’ अपनाए जाने का दबाव बनाने के साथ ही चेतावनी दी है कि मौजूदा नीति को जारी रखने से उसके भारत और अफगानिस्तान के साथ संबंधों पर बुरा असर पडेगा. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसेन राइस ने प्रधानमंत्री नवाज […]

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तानी नेतृत्व पर देश के भीतर आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाहों के खिलाफ ‘आक्रामक रवैया’ अपनाए जाने का दबाव बनाने के साथ ही चेतावनी दी है कि मौजूदा नीति को जारी रखने से उसके भारत और अफगानिस्तान के साथ संबंधों पर बुरा असर पडेगा.

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसेन राइस ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ , सेना प्रमुख जनरल राहिल शरीफ और उनके पाक समकक्ष सरताज अजीज के साथ इस सप्ताह हुई बैठकों में यह साफ कर दिया कि आतंकवादी समूहों से मुकाबला करने के लिए उन्हें अधिक कार्रवाई करने की जरुरत है.एक अधिकारी ने वार्ताओं को साफ और सीधी करार देते हुए पीटीआई को बताया, ‘‘ राइस ने इस बात को रेखांकित किया कि आतंकवादी और अन्य आतंकवादी गतिविधियां पाकिस्तान की धरती से लगातार जारी हैं और यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान तथा पाकिस्तान और भारत के बीच क्षेत्रीय टकराव का महत्वपूर्ण कारक बन चुकी हैं.’

अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका यात्रा के दौरान 22 अक्तूबर को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी मुलाकात में पाकिस्तानी धरती से पैदा होने वाला आतंकवाद विचार विमर्श का एक महत्वपूर्ण मुूद्दा होगा. अधिकारी ने कहा, ‘‘ इसलिए पाकिस्तानी धरती पर स्थित कुछ आतंकवादी समूहों की इन सुरक्षित पनाहगाहों की इस चुनौती का समाधान करना पाकिस्तान के अपने पडोसियों और अमेरिका के साथ संबंधों को परिभाषित करने के लिए बहुत जरुरी है. इनमें से कुछ समूह अफगानिस्तान में अमेरिकी और गठबंधन बलों को निशाना बना रहे हैं.’
राइस की इस्लामाबाद की एक दिवसीय यात्रा के दौरान उनकी पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ हुई बातचीत की जानकारी रखने वाले अधिकारी ने बताया, ‘‘ काबुल में हिंसा में वृद्धि के मद्देनजर यह हमारी चिंता का मुख्य विषय है. निश्चित रुप से हमारे लिए यह देखना प्राथमिकता है कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क और अन्य ऐसे कारकों से निपटने में बेहद आक्रामक रवैया अपनाए.’
उन्होंने बताया, ‘‘ राइस ने बेहद साफ शब्दों में कहा कि पाकिस्तान को हक्कानी और अन्य ऐसे समूहों से निपटने के लिए काफी कुछ करने की जरुरत है. ये वे समूह हैं जिन्होंने न केवल अफगान लोगों की जिंदगियां ली हैं बल्कि अमेरिकियों समेत गठबंधन बलों की भी जानें ली हैं जिसकी हम बहुत गहरे से चिंता करते हैं.’
बताया जाता है कि राइस ने अफगान सुलह समझौते के प्रयासों और इसमें पाकिस्तान की मदद से संबंधित मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया। अन्य मुद्दों में जलवायु परिवर्तन, अर्थव्यवस्था, उर्जा, अप्रसार, वैश्विक स्वास्थ्य तथा बालिका शिक्षा पर भी उन्होंने चर्चा की. अधिकारी ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध ‘‘निश्चित रुप से चर्चा का विषय थे ‘ लेकिन ‘‘बैठक में यह मुख्य मुद्दा नहीं था.
निश्चित रुप से यह चर्चा में उठे कई बिंदुओं में से एक था.’ उन्होंने बताया, ‘‘लेकिन निश्चित तौर पर यह भारत पाक तनाव पर चर्चा करने के लिए बुलायी गयी आपात बैठक नहीं थी. इसमें चर्चा का मुद्दा था , तनाव में हालिया वृद्धि और इस तनाव को कम करने में पाकिस्तान किस प्रकार सृजनात्मक रुप से काम कर सकता है , विशेष रुप से दोनों पक्षों के बीच बैठकों के रद्द होने से उत्पन्न हालात के मद्देनजर.’

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