वाशिंगटन : अमेरिका स्थित एक सिंधी संगठन ने आज दावा किया है कि पाकिस्तान का सिंध प्रांत तेजी से आतंकियों की शरणस्थली बनता जा रहा है. जिहादी संगठन यहां बडी संख्या में मदरसे चला रहे हैं और देश के नेतृत्व में उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है. ‘सिंध में धार्मिक चरमपंथ का उभार’ नामक रिपोर्ट में कहा गया, ‘आतंकियों को जड से उखाड फेंके जाने और धार्मिक चरमपंथ के सिंध तक सीमित रहने की कोई संभावना नहीं दिख रही. हाफिज सईद और उसका संगठन जमात उद दावा ऐसे उन कई संगठनों में से एक हैं, जो खुलेआम अपनी गतिविधियां चला रहे हैं और उन्हें सिर्फ सिंध में ही नहीं बल्कि आतंकवाद को विदेशों तक फैलाने में भी छूट हासिल है.’
वाशिंगटन स्थित सिंधी फाउंडेशन की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया कि मुंबई पर बोले गए आतंकी हमले की निगरानी उसके साजिशकर्ताओं ने सिंध में स्थापित नियंत्रण कक्ष से की थी. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया, ‘जब तक पाकिस्तान की सेना अपनी ‘हत्या करो और फेंक दो’ वाली नीति के तहत सिंधी राष्ट्रवादियों को जबरन गायब करने में शामिल रहेगी, तब तक धार्मिक आतंकी संगठन सिंधी हिंदुओं के पूजास्थलों पर हमले करते रहेंगे और उनकी बेटियों का जबरन धर्मपरिवर्तन करवाकर उन्हें मुस्लिम बनाते रहेंगे.’ इसमें कहा गया, ‘आतंकवाद का सिंध से सफाया मुश्किल ही लगता है. पाकिस्तान की सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान ऐसे संगठनों को रोकने और उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के मूड में नहीं दिखते.’
रिपोर्ट के अनुसार, सिंध की प्रांतीय सरकार के गृह विभाग का कहना है कि सिंध में 4021 मदरसे हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार की रिपोर्ट आतंकवाद से जुडे हुए सिर्फ दो दर्जन मदरसों की ही पहचान करती है. इसमें कहा गया, ‘हालांकि इंटरनेशनल क्राइसेस ग्रुप समेत स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने यह खुलासा किया कि अकेले कराची में ही हजारों मदरसे हैं.’ रिपोर्ट में कहा गया कि हाफिज सईद सिंध में हजारों की भीड को संबोधित करता रहा है और हिंदुओं को इस्लाम कबूलने के लिए आमंत्रित करता रहा है. इसके साथ ही वह मुस्लिम सिंधी युवकों को कश्मीर में जिहाद में शामिल होने के लिए कहता रहा है.
इसमें कहा गया, ‘सिंध के 93 प्रतिशत हिंदू थार में रहते हैं. सिंध विश्वविद्यालय में मुल्ला पाकिस्तानी रेंजर्स और अर्द्धसैन्य बलों की मौजूदगी में सिंधी युवकों को उपदेश देते हैं जबकि इन बलों का प्रमुख कर्तव्य सीमाओं की हिफाजत करना है.’ इसमें कहा गया, ‘मदरसों वाला सिद्धांत धार्मिक एवं पंथीय घृणा की नयी लहरों को जन्म दे रहा है, जो कि सिंध में हमेशा से बाहरी जनसंख्या के साथ दखल देता रहा है.’ इसमें यह भी कहा गया कि इन मदरसों के प्रशासक सिंध से बाहर के हैं.’