नयी दिल्ली : श्रम कानूनों में प्रस्तावित बदलाव के विरोध में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का हड़ताल आज जारी है. इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल से देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य राज्यों में आवश्यक सेवाएं प्रभावित देखी जा रही है.दिल्लीमें लगभग 90 हजार ऑटो सड़क से नदारद है. दिल्ली में ऑटो चालकों के बीच मारपीट की खबर आ रही है.मारपीट में घायल ड्राइवर ने कहा कि मैं अस्पताल जा रहा था जब अन्य चालकों ने मेरे साथ मारपीट की और मेरे ऑटो को क्षतिग्रस्त किया.
Trade unions' nation-wide strike: Protesters block railway track in North 24 Parganas district (West Bengal). pic.twitter.com/oLq19lZVw7
— ANI (@ANI) September 2, 2015
पश्चिम बंगाल में भी इस हड़ताल का असर देखा जा रहा है. राज्य के 24 परगना जिले में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया है. सिलीगुड़ी में भी हड़ताल असरदार दिख रहा है. यहां कुछ बसे तो चल रही है लेकिन इसमें इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे हैं. यहां के बाज़ार भी बंद हैं.
I was going to hospital, these people hit me & damaged my vehicle:Auto Rickshaw driver (who had not joined in strike) pic.twitter.com/NRoomRwWuf
— ANI (@ANI) September 2, 2015
प्राप्त जानकारी के अनुसार दिल्ली में डीटीसी बसों और फीडर में भारी भीड़ देखी जा रही है. पश्चिम विहार, पंजाबी बाग, संसद मार्ग पर भी ऑटो बहुत कम चल रहे हैं.इन यूनियनों ने दावा किया है कि सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके सदस्यों की संख्या 15 करोड़ है. इनमें बैंक और बीमा कंपनियां भी शामिल हैं.
मंत्रियों के समूह के साथ बैठक का कोई नतीजा नहीं निकलने के बाद यूनियनों ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया था. यूनियन नेताओें ने कहा : हड़ताल से परिवहन, बिजली गैस और तेल की आपूर्ति जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित होंगी. हालांकि बीएमएस ने दावा किया है कि कि इस आम हड़ताल से बिजली, तेल एवं गैस की आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी, क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारी श्रम कानूनों में बदलाव के विरोध में हो रही हड़ताल से हट गये हैं.
हड़ताल में कौन-कौन यूनियन शामिल : सीटू, एक्टू, एआइसीसीटीयू, एचएमएस, एआइसीटीयूसी, इंटक, यूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एलपीएफ
ये यूनियन हड़ताल में शामिल नहीं
12 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 12 सूत्रीय मांगाें के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया था. उनकी मांगों में श्रम कानून में प्रस्ताविक श्रमिक विरोधी संशोधन को वापस लेना और सार्वजनिक उपक्रमाें का विनिवेश व निजीकरण रोकना शामिल है. बीएमएस बाद में इस हड़ताल से हट गयी. उसका कहना है कि सरकार ने कुछ प्रमुख मांगों को पूरा करने का जो आश्वासन दिया है, उसके लिए उसे समय दिया जाना चाहिए. नेशनल फ्रंट आॅफ इंडियन ट्रेड यूनियंस भी हड़ताल में शामिल नहीं होगी.
1990 से यह 16 वीं हड़ताल
पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के कार्यकाल के दौरान चार बार, अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कार्यकाल में पांच और मनमोहन सिंह सरकार में छह बार आम हड़ताल हो चुकी हैं.
सभी 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन बुधवार को हड़ताल पर रहेंगी. बीएमएस की कई राज्य इकाइयां भी हड़ताल में शामिल होंगी.
डीएल सचदेव, सचिव, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन