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डंपिंग ग्राउंड के लिए तरस रहा है निगम

देवघर : देवघर नगर निगम का पांच वर्ष का एक कार्यकाल पूरा हो गया. दूसरे कार्यकाल का दो माह भी बीत गया. लेकिन, कूड़ा-कचरा डिस्पोजल के लिए स्थायी डंपिंग ग्राउंड की तलाश अब भी पूरी नहीं हुई है. तितमो व रमुड़िया में डंपिंग ग्राउंड बनाने का काम भी ठंडे बस्ते में ही है. नतीजा शहर […]

देवघर : देवघर नगर निगम का पांच वर्ष का एक कार्यकाल पूरा हो गया. दूसरे कार्यकाल का दो माह भी बीत गया. लेकिन, कूड़ा-कचरा डिस्पोजल के लिए स्थायी डंपिंग ग्राउंड की तलाश अब भी पूरी नहीं हुई है. तितमो व रमुड़िया में डंपिंग ग्राउंड बनाने का काम भी ठंडे बस्ते में ही है. नतीजा शहर से हर दिन निकलने वाला 60 से 65 ट्रैक्टर कूड़ा-कचरा काे इधर-उधर फेंका जाता है. हर दिन लोगों को कूड़ा-कचरा से परेशान रहना पड़ता है.

गंदगी से परेशान लोगों को निजात दिलाने के प्रति निगम प्रशासन गंभीर नहीं है. आंकड़ों पर गौर करें तो शहर की आबादी दो लाख से अधिक है. साथ ही देवघर की फ्लोटिंग पॉपुलेशन भी हर दिन औसतन 30 से 40 हजार की होती है. श्रावणी मेला बीते अभी महज तीन दिन ही बीता है. मेले के दौरान 22 लाख से ज्यादा कांवरिया देवघर पहुंचे थे.

मेला अवधि का कूड़ा-कचरा डढ़वा नदी पुल के आसपास सहित देवघर कॉलेज के आसपास सहित मोहनपुर प्रखंड एवं शहर के अन्य खाली हिस्सों में ही फेंका गया. इतना कूड़ा-कचरा निकलने के बाद भी निगम प्रशासन सुविधा उपलब्ध कराने के नाम पर मूक दर्शक बनी हुई हैै. डंपिंग ग्राउंड के अभाव में हर दिन कूड़ा-कचरा का उठाव भी ठीक ढंग से नहीं होता है. स्थानीय लोगों के अलावा तीर्थ यात्रियों को इसी गंदगी के बीच से होकर गुजरना पड़ता है. रिहायशी इलाका में कूड़ा-कचरा फेंके जाने से लोगों को संक्रमण का डर भी सताने लगा है.

अक्तूबर 2014 में लिया गया था प्रस्ताव
नगर निगम में अक्तूबर 2014 में ठोस अवशिष्ठ प्रबंधन कमेटी की बैठक तत्कालीन अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई थी. इसमें प्रशासन द्वारा मोहनपुर प्रखंड के तितमो में उपलब्ध कराये गये पांच एकड़ जमीन की घेराबंदी करने का निर्णय लिया गया था. तितमो की जमीन की घेराबंदी का भी आदेश प्राप्त हो गया था.

उपायुक्त से दंडाधिकारी एवं पुलिस बल उपलब्ध कराने के साथ-साथ जमीन हस्तांतरण का अनुरोध किया गया भी किया गया था. लेकिन यह भी ठंडे बस्ते में चला गया. इससे पूर्व ठोस अवशिष्ठ प्रबंधन योजना के तहत शहरी कूड़ा-कचरा के निस्तारण (डिस्पोजल) के लिए बरमुड़िया में जमीन उपलब्ध कराया गया था. ठोस अवशिष्ठ प्रबंधन योजना के तहत बरमुड़िया में कूड़ा-कचरा फेंकने का काम शुरू हो गया था. लेकिन, स्थानीय लोगों के विरोध के बाद कूड़ा-कचरा फेंकने का काम बंद कर दिया गया था.

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