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पाक के नापाक बयान

भारत एवं पाकिस्तान के बीच सरहद पर शांति और विवादित मुद्दों पर निर्णायक बातचीत में ही दोनों देशों का हित निहित है, यह बात भारत वर्षो से दोहराता रहा है.यह हकीकत पाकिस्तान भी समझता है, तभी तो वार्ता में अड़ंगे लगाने के बावजूद, खुद को वार्ता का समर्थक दिखाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहता. […]

भारत एवं पाकिस्तान के बीच सरहद पर शांति और विवादित मुद्दों पर निर्णायक बातचीत में ही दोनों देशों का हित निहित है, यह बात भारत वर्षो से दोहराता रहा है.यह हकीकत पाकिस्तान भी समझता है, तभी तो वार्ता में अड़ंगे लगाने के बावजूद, खुद को वार्ता का समर्थक दिखाने का कोई मौका चूकना नहीं चाहता.
पाकिस्तान का यह दोहरा रवैया फिर सामने आया है. पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सुजैन राइस से कहा है कि उनका देश भारत के साथ सभी लंबित मुद्दों पर ‘सार्थक एवं उद्देश्यपूर्ण’ बातचीत चाहता है.
सुजैन नवाज शरीफ की अक्तूबर में प्रस्तावित अमेरिका यात्रा का एजेंडा तैयार करने के सिलसिले में एक दिन के लिए पाकिस्तान आयी थीं. हालांकि खबरों के मुताबिक उनकी यात्रा का मकसद भारत और पाक के बीच तनाव कम करना भी था.
इस दौरान उन्होंने पाक एनएसए सरताज अजीज और सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ आदि से भी बात की. पाकिस्तान ने बीते दिनों भारत के साथ प्रस्तावित एनएसए स्तरीय वार्ता को आखिरी वक्त में इसलिए रद कर दिया था, क्योंकि भारत ने कश्मीरी अलगाववादियों से विमर्श की इजाजत नहीं दी थी.
रूस के ऊफा शहर में भारत व पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात में एनएसए स्तर की वार्ता का एजेंडा तय हो जाने के बावजूद पाक ने न केवल उसमें कश्मीर का मुद्दा जोड़ने की जिद पकड़ ली, बल्कि सीमा पर फायरिंग की पाक सेना की नापाक हरकतें भी अचानक तेज हो गयीं, जिनमें कई भारतीय जवान व नागरिक शहीद हो गये.
इस बीच खून-खराबे के मकसद से भारत आये दो पाक आतंकियों की अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तारी के बावजूद पाकिस्तान अपने गिरेबां में झांकने की बजाय, सीमा पर फायरिंग जारी रखे हुए है. वार्ता रद करने के बाद सरताज अजीज ने भारत को धमकानेवाले लहजे में कहा था कि पाकिस्तान परमाणु संपन्न राष्ट्र है.
इस बयान के लिए पाकिस्तान को अमेरिका ने भी फटकार लगायी. अब पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने भी कहा है कि अगर भारत ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया, तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी, जिसे वह दशकों तक याद रखेगा.इस तरह युद्ध की भाषा बोल कर पाकिस्तान भरोसे का माहौल कायम करने की उन जरूरी शर्तो की खिल्ली उड़ा रहा है, जिनके बिना कोई भी सार्थक वार्ता मुमकिन नहीं हो सकती.
कहने की जरूरत नहीं कि पाकिस्तान की कथनी एवं करनी का यह फर्क ही शांति और सौहार्द की भारत की कोशिशों को पटरी से उतार रहा है.

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