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सिलीगुड़ी नगर निगम: बोर्ड मीटिंग में किया हंगामा, नारेबाजी

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम के सभाकक्ष में गुरुवार को बोर्ड मीटिंग उस समय हंगामें में तब्दील हो गयी, जब विरोधी तृकां पार्षदों के सवाल के जवाब में वाम बोर्ड के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने चेयरमैन दिलीप सिंह की अनुमति से सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) में 200 करोड़ के कथित घोटाले के प्रसंग को उठाया. तृकां […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी नगर निगम के सभाकक्ष में गुरुवार को बोर्ड मीटिंग उस समय हंगामें में तब्दील हो गयी, जब विरोधी तृकां पार्षदों के सवाल के जवाब में वाम बोर्ड के मेयर अशोक भट्टाचार्य ने चेयरमैन दिलीप सिंह की अनुमति से सिलीगुड़ी-जलपाईगुड़ी विकास प्राधिकरण (एसजेडीए) में 200 करोड़ के कथित घोटाले के प्रसंग को उठाया. तृकां के सभी पार्षद इस प्रसंग का जोरदार विरोध करने लगे और सभाकक्ष में ही जमकर नारेबाजी भी की. बाद में विरोधी दल के नेता नांटू पाल के नेतृत्व में सभी तृकां पार्षद बोर्ड मीटिंग का बायकाट कर नारेबाजी करते हुए सभाकक्ष से बाहर निकल गये.

इस दौरान तृकां के पार्षद अपना आपा खो बैठे और आवेश में आकर झूठा, मिथ्यावादी, चोर जैसे अभद्र भाषाओं से मेयर पद का अपमान भी करने से भी बाज नहीं आये. इस दौरान वाम पार्षद भी तृकां के पार्षदों पर जमकर बरसे और एक के बाद एक घोटाले को जोर-जोर से गिनाकर करारा जवाब दिया. मेयर भी विरोधियों पर जमकर बरसे और तल्ख तेवर दिखाया. हंगामे की वजह तृकां के पार्षद कृष्णचंद्र पाल ने मेयर से सवाल किया कि बीते चार साल के दौरान एसजेडीए, एनबीडीडी व राज्य सरकार के संयुक्त पहल पर निगम क्षेत्र में 200 करोड़ रुपये का विकास कार्य हुआ. साथ ही बीते एक साल के दौरान और 74 करोड़ रुपये का विकास हुआ. लेकिन बोर्ड गठन के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या फिर उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव को एक बार भी धन्यवाद क्यूं नहीं दिया गया.

अढाई महीने बोर्ड गठन होने के बावजूद इस 274 करोड़ रुपये के विकास कार्यो को लेकर एक बार भी चर्चा नहीं की गयी. इसके जवाब में जैसे ही श्री भट्टाचार्य ने एसजेडीए घोटाले का प्रसंग उठाया, उसी दौरान तृकां के पार्षद भड़क उठे और मेयर को जवाब नहीं देने दिया. विरोधी दल के नेता नांटू पाल का कहना है कि एसजेडीए घोटाले का मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधिन है. उन्होंने मेयर को कोर्ट का सम्मान करने की नसीहत देते हुए कहा कि इस मुद्दे को बोर्ड मीटिंग में उठाना उचित नहीं है. ऐसे मुद्दे को मीटिंग में उठाकर वाम बोर्ड विकास के मुद्दे से जनता धोखे में रखना चाहती है. श्री पाल का कहना है कि अगर वाम बोर्ड एसजेडीए घोटाले पर चर्चा करती है तो श्री भट्टाचार्य जब वाम शासन में राज्य के नगर विकास मंत्री थे और एसजेडीए के चेयरमैन थे, उस दौरान हुए सभी घोटाले पर भी चर्चा करनी होगी. उस दौरान चांदमणी चाय बगान की जमीन को लेकर हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ और करोड़ों की जमीन कौड़ी के भाव भूमाफियाओं को दे दिये गये. इस दौरान आंदोलनकारी दो चाय श्रमिकों के खून पर चांदमणी में उत्तरायण टाउनशीप खड़ी कर दी गयी. इसके अलावा उसी दौरान कावाखाली-पोराझाड़ की जमीन, महानंदा एक्शन प्लान व अन्य परियोजनाओं में हुए घोटाले का भी जवाब मेयर को देना होगा. श्री भट्टाचार्य ने भी विरोधियों पर तेवर तल्ख करते हुए कहा कि राज्य की सत्ता की कमान बीते साढ़े चार सालों से तृकां के हाथों में है.

अपने-आप को मां-माटी-मानुष की तृणमूल सरकार हर क्षेत्र में पावर का इस्तेमाल कर रही है, तो फिर वाम शासन में हुए घोटालों के खिलाफ मामला क्यूं नहीं कर रही. मेयर जैसे सम्मानित व्यक्ति पर मिथ्या मामला दर्ज कराया जाता है. तो घोटालों जैसे जघन्य मुद्दों पर मामला क्यूं नहीं हो रहा.

केवल हवा में बातें करने से कुछ नहीं होता. उन्होंने विरोधियों के एक सवाल के जवाब में करारा जवाब देते हुए कहा कि एसजेडीए व एनबीडीडी द्वारा निगम क्षेत्र में जो भी विकास कार्य किया है उसकी निगम को कोई जानकारी नहीं दी गयी. विकास कार्य किया गया इसके लिए में मुख्यमंत्री या उत्तर बंगाल विकास मंत्री की पूजा करुं और चरण में पुष्प अर्पण करुं, ऐसी चापलूसी वाम नेता-मंत्री नहीं करते. ऐसा चलन मां-माटी-मानुष की तृणमूल सरकार में ही है. वाम शासन में केवल सिलीगुड़ी ही नहीं बल्कि पूरे बंगाल का चहुमुखी विकास हुआ. सिलीगुड़ी उसी दौरान पूरे देश में मॉडल टाउन के रुप उभर सामने आया, तो क्या इसके लिए हम (वाममोरचा) विरोधियों से कहे की हमारी पूजा करो, हमें धन्यवाद दो.

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