मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने आज पूछा कि राधे मां के खिलाफ बंबई पुलिस कानून के तहत अशिष्टता और अश्लीलता का अपराध बनता है या नहीं. न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति शालिनी फानसाल्कर जोशी की खंडपीठ ने अधिवक्ता फाल्गुनी ब्रहमभट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल किया. इस याचिका में अश्लीलता, धोखाधड़ी और धार्मिक भावनाएं भडकाने के आरोप में राधे मां के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई है. उपनगर बोरीवली पुलिस द्वारा फाल्गुनी की शिकायत पर कार्रवाई करने से कथित रुप से इंकार करने के बाद उन्होंने अदालत से गुहार लगाई है.
राधे मां ने याचिका का विरोध किया था और उनके वकीलों ने दावा किया कि सभी उपदेश कमरे के अंदर दिये जाते हैं और इसलिए इसे सार्वजनिक रुप से अश्लीलता फैलाना नहीं माना जा सकता. उच्च न्यायालय ने पूछा, क्या बंबई पुलिस अधिनियम की धारा 110 के तहत अशिष्टता और अश्लीलता का अपराध उनके (राधे मां) के खिलाफ बनता है क्योंकि उनका (राधे मां) दावा है कि यह चारदीवारी के अंदर हुआ. अदालत ने पिछले सप्ताह शहर पुलिस को हलफनामा दायर करके यह बताने को कहा था कि राधे मां के खिलाफ प्राप्त शिकायतों के संबंध में उसने क्या कदम उठाए हैं.
पुलिस ने आज हलफनामा दायर करने के लिए दो हफ्तों का समय और मांगा. हालांकि अदालत ने पुलिस को केवल एक हफ्ते का समय दिया और कहा कि और समय नहीं दिया जाएगा. इससे पहले, राधे मां उस समय विवादों में घिर गई थीं जब पांच अगस्त को 32 साल की एक महिला ने उपनगर कांदीवली पुलिस को शिकायत देकर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसके ससुरालवालों को दहेज की मांग करने के लिए उकसाया है. कांदीवली पुलिस ने बाद में राधे मां और छह अन्य को इस मामले में तलब किया था जिसके बाद राधे मां पुलिस के सामने पेश हुई थीं.