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धर्म आधारित ताजा आंकड़े : हिंदुस्तान में ऐतिहासिक रूप से पहली बार हिंदुओं की आबादी 80 प्रतिशत से नीचे आयी

नयी दिल्ली : सरकार ने जनगणना -2011 के धर्म आधारित ताजा आंकड़े मंगलवार को जारी कर दिये. आंकड़ों के मुताबिक अन्य धर्मों के मुकाबले मुसलमानों की आबादी सीमांत रूप से बढ़ी है. 2001 से 2011 के बीच 10 साल की अवधि में देश की कुल आबादी (121.09 करोड़) में हिंदुओं का अनुपात 0.7% घटा है, […]

नयी दिल्ली : सरकार ने जनगणना -2011 के धर्म आधारित ताजा आंकड़े मंगलवार को जारी कर दिये. आंकड़ों के मुताबिक अन्य धर्मों के मुकाबले मुसलमानों की आबादी सीमांत रूप से बढ़ी है. 2001 से 2011 के बीच 10 साल की अवधि में देश की कुल आबादी (121.09 करोड़) में हिंदुओं का अनुपात 0.7% घटा है, जबकि मुसलमानों का अनुपात 0.8% बढ़ा है. सिखों और बौद्धों का अनुपात भी क्रमश: 0.2 और 0.1% घटा है. वहीं, ईसाइयों और जैन धर्म के अनुपात में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि हिंदुओं का अनुपात 80 प्रतिशत से नीचे आ गया है. जनगणना के आंकड़े एकत्रित करने के चार साल से अधिक समय बाद धर्म आधारित आंकड़ें जारी किये गये हैं. महापंजीयक और जनगणना आयुक्त की ओर से जारी 2011 के धार्मिक जनगणना डाटा के अनुसार देश में 2011 में कुल जनसंख्या 121.09 करोड़ थी. इसमें हिंदू जनसंख्या 96.63 करोड़ (79.8 प्रतिशत), मुसलिम आबादी 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत), ईसाई 2.78 करोड़ (2.3 प्रतिशत), सिख 2.08 करोड़ (1.7 प्रतिशत), बौद्ध 0.84 करोड़ (0.7 प्रतिशत), जैन 0.45 करोड़ (0.4 प्रतिशत) और अन्य धर्म और मत (ओआरपी) 0.79 करोड़ (0.7 प्रतिशत) रही.

2001 का आंकड़ा

साल 2001 के आंकड़ों के अनुसार भारत की कुल आबादी 102 करोड़ थी जिसमें हिंदुओं की आबादी 82.75 करोड़ (80.45 प्रतिशत) और मुसलिम आबादी 13.8 करोड़ (13.4 प्रतिशत) थी.

जाति आधारित आंकड़े का इंतजार

अभी जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किये गये हैं.राजद, जदयू, सपा और द्रमुक व अन्य कुछ दल सरकार से जाति आधारित जनगणना जारी करने की मांग कर रहे हैं. जनसंख्या के सामाजिक आर्थिक स्तर पर आंकड़ें तीन जुलाई को जारी किये गये थे.

जम्मू-कश्मीर भी शामिल

2001 की जनगणना पर उठे विवाद के बाद 2011 में सरकार ने धर्म के आधार आबादी के आंकड़े जारी करने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि जम्मू-कश्मीर को इसमें शामिल किया गया था, जिसके आधार पर मुसलमानों की आबादी बढ़ी हुई दिखायी गयी थी. आतंकवाद से ग्रस्त यह राज्य 1991 की जनगणना में शामिल नहीं था.

मंशा पर सवाल

बिहार चुनाव के ठीक पहले केंद्र द्वारा धार्मिक जनगणना के आंकड़े जारी करने पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं. माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले धर्म आधारित आंकड़े जारी कर केंद्र की मोदी सरकार चुनावी चाल चल रही है. बिहार की 243 सीटों में से कम-से-कम 50 सीटों पर मुसलिमों का दबदबा है.

किस रफ्तार से देश में बढ़ी आबादी

अहम बात ये है कि 2001 से 2011 के बीच दस साल में सबसे ज्यादा आबादी में बढ़ोतरी का दर मुसलमान में देखा गया. मुसलमानों की आबादी 24.6 फीसदी बढ़ी, जो कि राष्ट्रीय औसत से 6.9 फीसदी ज्यादा है. जबकि दूसरे सभी धार्मिक इकाइयों की आबादी राष्ट्रीय औसत से कम है. 2001 से 2011 के बीच हिंदुओं की आबादी के बढ़ने की दर 16.8 रही. ईसाई की आबादी बढ़ने की रफ्तार 15.5 रही. इस तरह सिख की आबादी बढ़ने की दर 8.4 फीसदी रही. बौद्ध धर्म की आबादी बढ़ने की दर 6.1 रही. जैन की आबादी बढ़ने की दर सबसे कम 5.4 रही.

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