बिहारशरीफ : विश्व के प्राचीनतम विश्व विद्यालयों में एक नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर को विश्व धरोहर में शामिल कराने के प्रयास को इस बार सफलता मिल सकती है.
नालंदा खंडहर को विश्व धरोहर में शामिल करने के भारत के प्रस्ताव की सच्चई जानने व स्थानीय निरीक्षण करने के लिए 26 अगस्त को यूनेस्को की टीम नालंदा पहुंच रही है.
इस बार भारत का दावा इतना पुख्ता है कि नालंदा खंडहर को विश्व धरोहर में शामिल होने की संभावनाएं काफी बढ़ गयी है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के स्ट्रर है, जिसे पुरातत्व विभाग ने बहुत ही अच्छी तरह संभाल कर रखा है.
नालंदा विश्वविद्यालय के भगावशेष की खुदाई के दौरान मिले आर्किटेक्ट को 1915 से ही सुरक्षित रखा जा रहा है. इसके लिए 1917 में नालंदा में म्यूजियम का निर्माण कराया गया था. इस म्यूजियम में खुदाई के दौरान मिली काशे (ब्रॉन्ज) प्रतिमाएं,
धातु को पिछलाने वाले यंत्र, पत्थर की प्रतिमाएं, टेराकोटा की मूर्तियां आदि अपने आप को अनूठी है.
इससे यह परिलक्षित होता है कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में इन्हें बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता था. टेका कोटा की मूर्तियां उस वक्त के लाइफ स्टाइल को दरसाती है. परिसर में कई विजुअल आर्ट भी मिले हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह आर्ट यहां के कैरीकुलम में शामिल था
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भारत का एकमात्र प्रस्ताव: पहले हरेक देश से यूनेस्को को तीन-चार प्रस्ताव भेजे जाते थे. इस बार भारत से प्राचीन नालंदा विश्व विद्यालय के भगावशेष को विश्व धरोहर में शामिल करने के लिए एकमात्र प्रस्ताव भेजा गया है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि यूनेस्को ने भारत को इस प्रस्ताव को एसेप्ट (स्वीकार) कर लिया है. 26 अगस्त को यूनेस्को की टीम नालंदा आ रही है. यह टीम भारत के भेजे गये प्रस्ताव व दावों का सत्यापन करेगा. इसके अलावा स्थानीय लोगों,
अधिकारियों व राज्य सरकार की इच्छा का अवलोकन भी किया जायेगा. यूनेस्कों की इस टीम में एशिया पेसिफिक रीजन के हेड के आने की संभावना है.
स्थानीय लोगों को होगा फायदा:नालंदा खंडहर के वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल होने सबसे ज्यादा स्थानीय लोगों को फायदा होगा. यहां पर्यटक ज्यादा संख्या में आयेंगे. इससे स्थानीय लोगों को रोजी-रोजगार के नये अवसर मिलेंगे. पर्यटकों के यहां रुकने की संभावना बढ़ जायेगी और जब तक पर्यटक सकेंगे नहीं लोगों को फायदा नहीं मिलेगा.
दिन-राज हो रही मेहनत: यूनेस्को की टीम के आगमन को देखते हुए जिला प्रशासन व पुरातत्व विभाग दिन-रात मेहनत करने में जुटा है. कहीं कोई कमी न रह जाये, इसके लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. बरसात के इस मौसम में यूनेस्को की टीम के आने से तैयारी में जुटी टीम को थोड़ी परेशानी हो रही है.