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भाकपा-माओवादी ने कहा, लालगढ आंदोलन के दौरान हुयी ‘गलतियां’

कोलकाता : प्रतिबंधित संगठन भाकपा :माओवादी: ने कहा है कि लालगढ आंदोलन के दौरान लोगों की हत्या कर और चोरी छिपे उनके शवों को हटाकर उसने गलती की। संगठन ने कहा है कि उसका यह भरोसा भी गलत साबित हुआ कि तृणमूल कांग्रेस राज्य में सत्ता में आने के बाद जंगलमहल से संयुक्त बल हटा […]

कोलकाता : प्रतिबंधित संगठन भाकपा :माओवादी: ने कहा है कि लालगढ आंदोलन के दौरान लोगों की हत्या कर और चोरी छिपे उनके शवों को हटाकर उसने गलती की। संगठन ने कहा है कि उसका यह भरोसा भी गलत साबित हुआ कि तृणमूल कांग्रेस राज्य में सत्ता में आने के बाद जंगलमहल से संयुक्त बल हटा लेगी. संगठन के पूर्वी ब्यूरो की तथाकथित केंद्रीय कमेटी ने छह पृष्ठों की समीक्षा रिपोर्ट में कहा है, ‘‘हमें भरोसा था कि अगर माकपा हार जाएगी तो संयुक्त बलों को हटा लिया जाएगा और सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया जाएगा लेकिन हम गलत थे.’’ इसकी रिपोर्ट की एक प्रति मीडिया को उपलब्ध करायी गयी.

सत्तारुढ तृणमूल कांग्रेस ने इसे माओवादियों का ‘प्रचार हथकंडा’ बताया जबकि माकपा ने दावा किया कि माओवादी बेनकाब हो गए हैं क्योंकि विकास के वादे पूरे नहीं हुए. दस्तावेज के मुताबिक माओवादियों ने स्वीकार किया कि जंगलमहल में लालगढ आंदोलन के दौरान लोगों की हत्या कर और उनके शवों को चोरी छिपे वहां से हटाकर उन्होंने गलती की थी. माओवादियों की गलती मानने की यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आयी है जब ऐसी खबरें है कि 2011 नवंबर में भाकपा (माओवादी) पोलितब्यूरो सदस्य किशनजी की मौत के बाद माओवादी जंगलमहल में फिर से पांव जमाने की कोशिश कर रहे हैं.

सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले छह महीनों में उनकी गतिविधियां बढी है. हमें खासकर बीनपुर, लालगढ व पुरुलिया के हिस्सों में निजी तौर पर और छोटे समूहों में उनकी गतिविधियों के बारे में विशेष खबरें मिली हैं.’’ पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि सीआरपीएफ और पश्चिम बंगाल पुलिस का संयुक्त बल जंगलमहल के पश्चिम मिदनापुर, बांकुरा और पुरुलिया जिलों के जंगली इलाकों में छापेमारी कर रहा है. हालांकि, गुमराह करने के भाकपा (माओवादी) के आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस सांसद सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि माओवादी लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने विकास का जो काम किया है और पार्टी ने उनके खिलाफ जो राजनीतिक मुहिम चलायी है उसके कारण माओवादी पूरी तरह से अलग-थलग हो गए हैं. अब वे लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन लोग उनके झांसे में नहीं आने वाले.’’ दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘लालगढ आंदोलन के दौरान जंगलमहल में जब जन आंदोलन पूरी रफ्तार में था उस समय यह हमारी नाकामी थी कि हम वहां पर लोगों के लिए वैकल्पिक लोकतांत्रिक व्यवस्था तैयार करने में असफल रहे.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘फिर ऐसी घटनाएं हुयीं जब मौत की सजा देने के बाद हमने माकपा के गुडों की गलत हरकतों के बारे सार्वजनिक तौर पर बताने की बजाए हमने उन शवों को छिपा दिया। ये गलतियां थी जो हमने कीं और हम वादा करते हैं कि फिर यह नहीं दोहराएंगे.’’ आईबी के अधिकारियों के मुताबिक, चार साल में पहली बार शहीदी दिवस मनाए जाने के दौरान माओवादियों और उनके समर्थन वाले संगठन पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटीज :पीसीपीए: के पोस्टर माओवादियों के गढ रह चुके इलाकों में मिले हैं.

माकपा पोलितब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने कहा, ‘‘राज्य सरकार सोच रही थी किशनजी की मौत के बाद चीजें सुलझ जाएंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि विकास के वादे नहीं निभाए गए.’’

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