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हवा-हवाई साबित हुआ सुरक्षा का आदेश
मगध मेडिकल थाने की पुलिस को है और खून-खराबे का इंतजार ! प्रभारी एसएसपी ने दिया था विशुनगंज व गुलरियाचक आदि गांवों में पुलिस पैट्रोलिंग का निर्देश गया : गया एयरपोर्ट के पास सोमवार की सुबह गांववालों की पिटाई से विशुनगंज स्थित मुखिया के घर में लूटपाट में शामिल चार में से तीन डकैतों की […]
मगध मेडिकल थाने की पुलिस को है और खून-खराबे का इंतजार !
प्रभारी एसएसपी ने दिया था विशुनगंज व गुलरियाचक आदि गांवों में पुलिस पैट्रोलिंग का निर्देश
गया : गया एयरपोर्ट के पास सोमवार की सुबह गांववालों की पिटाई से विशुनगंज स्थित मुखिया के घर में लूटपाट में शामिल चार में से तीन डकैतों की मौत हो गयी, जबकि एक डकैत की स्थिति भी नाजुक बनी हुई है. इस घटना के 14 घंटे बाद सोमवार की देर शाम बोलेरो सवार कुछ युवकों ने विशुनगंज-गुलरियाचक सड़क के किनारे बैठे युवकों पर फायरिंग करते हुए धमकी दी थी कि तीन को मारे हो, अब चुन-चुन कर मारेंगे.
इस धमकी को पुलिस के वरीय अधिकारियों ने गंभीरता से लिया और सोमवार की रात प्रभारी एसएसपी विकास वर्मन ने विशुनगंज व गुलरियाचक आदि गांवों में पुलिस पैट्रोलिंग बढ़ाने का आदेश मगध मेडिकल थाने की पुलिस दिया. लेकिन, मगध मेडिकल थाने की पुलिस ने प्रभारी एसएसपी के आदेश को दरकिनार कर दिया. ऐसे में प्रभारी एसएसपी का आदेश हवा-हवाई हो गया. मंगलवार की सुबह से देर शाम तक विशुनगंज, गुलरियाचक व आसपास के गांवों में भी पुलिस नजर नहीं आयी.
इससे इन गांव के लोगों में भय व्याप्त है. मगध मेडिकल थाने की पुलिस के इस क्रियाकलाप से ऐसा लग रहा है कि पुलिस को किसी बड़े खून-खराबा का इंतजार है. अगर मगधमेडिकल थाने की पुलिस का यही हाल रहा, तो पुलिस के वरीय अधिकारियों को बड़ी परेशानी हो सकती है.
पुलिस का रवैया हैरान करनेवाला : मुखिया. डकैतों का शिकार हुए नगर प्रखंड के धनसीर पंचायत के मुखिया अजय कुमार गुप्ता व विशुनगंज के रहनेवाले राजदेव पंडित सहित कई लोग मगध मेडिकल थाने की पुलिस के क्रियाकलाप से हैरत में हैं.
मंगलवार की शाम मुखिया ने बताया कि इतनी बड़ी घटना के बाद मंगलवार को भी मगध मेडिकल थाने की पुलिस उनके गांव व आसपास के गांवों में नजर नहीं आयी. अब वह खुद थाना जायेंगे, ताकि पता चले कि पुलिस इस मामले में में क्या कर रही है.
घटना के बाद विशुनगंज गांव में पहुंचे मगध मेडिकल थानाध्यक्ष ने उनसे एफआइआर के लिए आवेदन लिखवाया. थानाध्यक्ष ने जो बोला, वहीं आवेदन पर लिख दिया. अब थाने जाकर यह भी देखूंगा कि थानाध्यक्ष ने उनके एफआइआर का क्या किया है.
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