21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रेग्‍नेंसी में ये समस्याएं कर सकती हैं परेशान

हाथ-पैरों में सूजन तीसरे-चौथे महीने तक गर्भवती के हाथ-पैरों में सूजन बढ़ती है, जो कई बार सामान्य है, लेकिन कई बार रोग से भी होती है. यदि यह किसी रोग से है, तो उसकी पहचान जरूरी है (हाइ बीपी, थायरॉइड रोग, एनिमिया). इसलिए इसे हल्के में न लें और सूजन ज्यादा होने पर तुरंत डॉक्टर […]

हाथ-पैरों में सूजन

तीसरे-चौथे महीने तक गर्भवती के हाथ-पैरों में सूजन बढ़ती है, जो कई बार सामान्य है, लेकिन कई बार रोग से भी होती है. यदि यह किसी रोग से है, तो उसकी पहचान जरूरी है (हाइ बीपी, थायरॉइड रोग, एनिमिया). इसलिए इसे हल्के में न लें और सूजन ज्यादा होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. भोजन में अतिरिक्त नमक न लें. समुचित आराम से राहत मिलती है. पैर लटका के न रखें.

नींद न आना

गर्भावस्था में तनाव या अन्य समस्याओं से महिला को अनिद्रा की शिकायत हो सकती है. समाधान : शाम की सैर लें, सोने के समय पढ़ाई करें, नींद आ जायेगी. रोजमर्रा के काम और हल्के व्यायाम गर्भावस्था में करने चाहिए.

कई बार भारी काम करने से गर्भपात या पानी निकलने का खतरा बढ़ता है. पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है व गर्भाशय में बच्चे का विकास ठीक से नहीं होता.

गर्भावस्था के दौरान हार्मोस में बदलाव के कारण कई शारीरिक बदलाव होते हैं, जिससे कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस दौरान यदि कोई रोग गंभीर रूप धारण कर ले, तो गर्भावस्था खतरे में पड़ सकती है.

इसलिए यह जानना जरूरी है कि गर्भावस्था में किन रोगों या समस्याओं से सामना होने की आशंका होती है. यदि ये समस्याएं दिखें, तो तुरंत उसके उपचार पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

बच्चे का कम मूवमेंट

सब से पहले गर्भावस्था में पांचवें महीने बच्चे का मूवमेंट महसूस करना आम है. गर्भावस्था के अंतिम तिमाही में यदि बच्चे का मूवमेंट कम होता है, तो यह एक समस्या है. ऐसा कहा जाता है कि पूरे दिन में बच्चे का कम-से-कम आठ-दस बार मूवमेंट जरूर होना चाहिए. मूवमेंट आराम के समय या खाने के बाद ज्यादा महसूस होता है.

एनिमिया होने की आशंका

फॉलिक एसिड और आयरन की कमी से गर्भावस्था में एनिमिया हो जाता है, जिससे प्लासेंटा को ठीक से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और गर्भवती को थ्रोम्बोसिस और अधिक ब्लीडिंग होती है. इसके लिए डॉक्टर आयरन सप्लीमेंट की सलाह देते हैं.

सांस लेने में तकलीफ होना : जब बच्चा गर्भ में मूवमेंट करता है और बढ़ता रहता है, तो मां के फेफड़ों पर दबाव पड़ता है.

इससे कई बार सांस लेने में तकलीफ होने लगती है या फिर घुटन होती है. गर्भावस्था में तमाम बीमारियों, समस्याओं और संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरतना जरूरी है. खास ख्याल रखें कि उन लोगों से मेल-जोल न हो, जिन्हें कोई संक्रमण या संक्रमित बीमारी है. साथ ही खान-पान, स्वस्थ जीवनशैली का विशेष ध्यान रखें.

गर्भावस्था के हफ्ते और महीने बढ़ने पर मां का वजन बढ़ता जाता है, जिससे स्तन भारी होने लगते हैं व उनमें दर्द की शिकायत भी होने लगती है. लिक्विड डिस्चार्ज का होना योनि मार्ग में होनेवाले इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है. ऐसा होने पर डॉक्टर को इसकी जानकारी अवश्य दें. इसे दवाओं द्वारा ठीक किया जा सकता है.

कब्ज : कई बार गर्भावस्था में ठीक से खान-पान न करने के कारण कब्ज की शिकायत रहने लगती है, जो कि मां और होनेवाले बच्चे दोनों के लिए हानिकारक है. अत: भरपूर पानी पीएं और खाने में सलाद को शामिल करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें