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कंप्यूटराइज्ड होगा विवि का परीक्षा सिस्टम

कुणाल मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में जल्द ही परीक्षा सिस्टम पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हो जायेगा. इसके लिए विवि खुद अपना सॉफ्टवेयर खरीदेगा. इसके लिए मंगलवार को परीक्षा बोर्ड में प्रस्ताव रखा जाना है. वित्त अधिकारी राजनारायण प्रसाद सिन्हा ने इसके लिए एनआइसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर) से सॉफ्टवेयर लेने का सुझाव दिया है. दरअसल, वित्त […]

कुणाल
मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विवि में जल्द ही परीक्षा सिस्टम पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हो जायेगा. इसके लिए विवि खुद अपना सॉफ्टवेयर खरीदेगा. इसके लिए मंगलवार को परीक्षा बोर्ड में प्रस्ताव रखा जाना है.
वित्त अधिकारी राजनारायण प्रसाद सिन्हा ने इसके लिए एनआइसी (नेशनल इन्फॉर्मेटिक सेंटर) से सॉफ्टवेयर लेने का सुझाव दिया है. दरअसल, वित्त अधिकारी पहले मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विवि में वित्त परामर्शी रह चुके हैं. वहां इस सॉफ्टवेयर का वर्षो से प्रयोग हो रहा है, जो काफी सफल है. विवि सूत्रों की मानें तो कुलपति डॉ पंडित पलांडे व प्रतिकुलपति डॉ प्रभा किरण मौखिक रू प से इसके लिए सहमत हैं.
हालांकि अंतिम फैसला परीक्षा बोर्ड में होगा. जानकारी हो कि कुलपति की पहल पर वर्ष 2014 में स्नातक पार्ट वन व टू की परीक्षा का रिजल्ट कंप्यूटरीकृत तरीके से निकाला गया है. हालांकि उसमें काफी कमियां है. इसे सुधारने के लिए ही नये सॉफ्टवेयर खरीद का फैसला हुआ है.
ये सुविधाएं मिलेंगी
पटना के मौलाना मजहरुल हक अरबी-फारसी विवि एनआइसी के साथ समझौता करने वाला पहला विवि है. सॉफ्टवेयर लगने के बाद वहां रजिस्ट्रेशन से लेकर प्रमाण पत्र कंप्यूटरीकृत रू प से तैयार किया जाता है. छात्रों के रिकॉर्ड की इंट्री के साथ इसकी शुरुआत होती है.
इसके लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म से डाटा का वेरिफिकेशन होता है. इसके बाद रजिस्ट्रेशन स्लिप जारी होता है. परीक्षा फॉर्म भरने के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर छात्र का रिकॉर्ड, नाम, विषय, कॉलेज का नाम निकाला जाता है. उसमें रौल नंबर अंकित कर एडमिट कार्ड तैयार होता है. कॉपियों की जांच के बाद कंप्यूटरीकृत टेबुलेशन की प्रक्रिया शुरू होती है. टीआर की पहली कॉपी निकलने के बाद उसे वेरिफिकेशन के लिए भेजा जाता है. आखिर में अंक पत्र, औपबंधिक प्रमाण पत्र व मूल प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.
सॉफ्टवेयर का नहीं लगता है पैसा
एनआइसी इ-एडमिन अभियान के तहत संस्थाओं को पूरी तरह कंप्यूटरीकृत करने के लिए सॉफ्टवेयर मुहैया कराती है. यह नि:शुल्क होता है. संबंधित संस्था को इसे अपने यहां इन्सटॉल करने के लिए कंप्यूटर, सर्वर, प्रिंटर, स्कैनर सहित अन्य उपकरण मुहैया कराना होता है.
एनआइसी के प्रतिनिधि खुद संस्थान में जाकर सॉफ्टवेयर स्थापित करते हैं. संस्थान के कर्मियों को एनआइसी की टीम नि:शुल्क प्रशिक्षण भी देती है. संस्थान को एनआइसी के वेबसाइट पर नि:शुल्क स्पेस भी मुहैया कराया जाता है.
पेंडिंग रिजल्ट से बचने का विकल्प
विवि में पेंडिंग रिजल्ट बड़ी समस्या है. प्राय: इसका सबसे बड़ा कारण अंक इंट्री में गड़बड़ी होती है. सॉफ्टवेयर लगने के बाद काफी हद तक इस समस्या से निजात पाया जा सकता है. दरअसल, मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी विवि में मार्क्‍स पोस्टिंग के लिए दो ऑपरेटर को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती है.
गलत पोस्टिंग होने की स्थिति में सॉफ्टवेयर उस गलती को तत्काल पकड़ लेता है और इसे इंगित करता है. इसका संकेत मिलने पर मार्क्‍स फाइल से तत्काल मिलान कर अंक को सुधार दिया जाता है.

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