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राज्यपाल की नियुक्ति को जातीय रंग देने में लगी भाजपा : कहकशां

पटना : जदयू की राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन ने कहा राज्यपाल की नियुक्ति को भाजपा और एनडीए के नेता खुद जातीय रंग देने पर तुले हुए दिखायी पड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो केवल इतना कहा था कि नियुक्ति से पहले न तो उनसे ली गयी और न ही उन्हें सूचना दी गयी. […]

पटना : जदयू की राज्यसभा सांसद कहकशां परवीन ने कहा राज्यपाल की नियुक्ति को भाजपा और एनडीए के नेता खुद जातीय रंग देने पर तुले हुए दिखायी पड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो केवल इतना कहा था कि नियुक्ति से पहले न तो उनसे ली गयी और न ही उन्हें सूचना दी गयी.

उन्होंने कहा 1983 में गठित सरकारिया आयोग की 1988 में प्रकाशित रिपोर्ट के नियमन के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा किसी भी राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति से पहले राज्य सरकार व मुख्यमंत्री से सलाह करना व सूचना देने का प्रावधान है. लेकिन न तो सलाह ली गयी और न ही सूचना दी गयी.

संघीय ढांचे के एकदम विपरीत है. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार की इसी गड़बड़ की ओर इशारा किया था, लेकिन एनडीए के नेता रामविलास पासवान व उपेंद्र कुशवाहा समेत भाजपा के कुछ नेता इसे जातीय रंग देने में लग गये.

उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठे लोगों को जातीय घेरे में बांधना उचित नहीं है. उस व्यक्ति को समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए समान दृष्टि रख कर काम करना पड़ता है. भाजपा वाले हमेशा किसी भी मसले को जातीय रंग देने और लोगों को ध्यान मामले से भटकाने का प्रयास किया.

नहीं था पुख्ता इंतजाम

जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने देवघर में भगदड़ में 11 लोगों की मौत व 50 से अधिक के घायल होने की घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है. यह घटना झारखंड सरकार की नाकामयाबी का नतीजा है.

जनता का अपमान

जदयू प्रवक्ता निहोरा प्रसाद यादव ने कहा कि पाकिस्तान सीमा पर आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुई सैनिक रॉकी के अंतिम संस्कार में हरियाणा के मुख्यमंत्री व कोई मंत्री शामिल नहीं हुए. यह शर्मनाक घटना है.

देशभक्ति व राष्ट्रवाद का नाटक करने वाली भाजपा की सरकार के इस रवैये से भारतीय सेना, शहीद हुए सैनिक के परिजन और हरियाणा की जनता का अपमान हुआ है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान से घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों से संघर्ष करते हुए पिछले दिनों देश के दो जांबाज सैनिक शहीद हो गये थे.

इनमें एक पश्चिम बंगाल से था और दूसरा हरियाणा के यमुना नगर जिले से. पूरा देश इन सैनिकों की शहादत से मर्माहत और इनके प्रति सम्मान से भरा था. ना तो राज्य में किसी ने शहीद के शव की अगवानी करने की जरूरत समझी और न ही कोई उनके अंतिम संस्कार में उपस्थित हुआ.

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