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सरकार बनायेगी उच्चस्तरीय कमेटी

टीएसी की बैठक में जमीन बंधक रख कर कर्ज लेने पर हुई चर्चा, सीएम ने कहा रांची : जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में जनजातीय समुदाय को जमीन बंधक रख कर कर्ज दिये जाने पर चर्चा की गयी. प्रोजेक्ट भवन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में आदिवासियों को […]

टीएसी की बैठक में जमीन बंधक रख कर कर्ज लेने पर हुई चर्चा, सीएम ने कहा
रांची : जनजातीय सलाहकार परिषद (टीएसी) की बैठक में जनजातीय समुदाय को जमीन बंधक रख कर कर्ज दिये जाने पर चर्चा की गयी. प्रोजेक्ट भवन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में आदिवासियों को शैक्षणिक और व्यावसायिक कार्यो के लिए कर्ज दिये जाने पर चर्चा की गयी.
कर्ज वापसी की अवधि सात वर्ष अथवा 10 वर्ष किये जाने के सुझाव सदस्यों ने दिये. मुख्यमंत्री ने पूरे मामले पर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का सुझाव दिया. यह समिति जमीन बंधक रख कर कर्ज लेने के सभी पहलुओं का अध्ययन कर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी.
सरकार बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायेगी :डॉ लुईस मरांडी: बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कल्याण मंत्री डॉ लुईस मरांडी ने कहा कि जनजातीयों को कैसे कर्ज मिले, इस पर सरकार प्राथमिकता से कार्य कर रही है.
उन्होंने कहा कि जनजातीयों के विकास के लिए सरकार सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायेगी. बैठक में जनजातीय समुदाय द्वारा एक थाना क्षेत्र से दूसरे थाना क्षेत्र में जमीन खरीदने पर अधिक चर्चा नहीं हो पायी.
मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से भूमि को बंधक रख कर कर्ज लिये जाने के संबंध में जो संकल्प जारी किया गया है, उस पर संशोधन किया जायेगा.
बैठक में मुख्य सचिव राजीव गौबा, टीएसी के सदस्य सचिव राजीव अरुण एक्का, राजस्व सचिव केके सोन, सदस्य विमला प्रधान, गंगोत्री कुजूर, दीपक बिरुआ, रामकुमार पाहन, रतन तिर्की, जेबी तुबिद समेत अन्य मौजूद थे.
आदिवासियों को मुख्य धारा से जोड़ा जाये : जेबी तुबिद
पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद ने आदिवासियों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि इससे झारखंड का समग्र विकास हो सकता है. उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित विकास योजनाओं का लाभ जनजातीयों तक पहुंचाने की वकालत भी की. श्री तुबिद ने सुझाव दिया कि आदिवासी छात्रों को लोन दिलाने की प्रक्रिया सरल की जाये.
सरकार यह सुविधा दे कि डिफाल्टर होने पर बैंक तत्काल जमीन की नीलामी नहीं करे. इसमें दोगुने वर्ष की छूट मिले. यदि सात साल तक लोन लिया गया हो और कर्ज लेनेवाला व्यक्ति डिफाल्टर हो जाये, तो उसकी जमीन की नीलामी 14 वें वर्ष में की जाये.
उन्होंने कहा कि आदिवासियों को किसी भी हिस्से में जमीन खरीदने की इजाजत मिले. इसके लिए कानून में संशोधन भी किया जाये. कौशल विकास कार्यक्रम और राज्य सरकार की नौकरियों में आदिवासियों को पर्याप्त आरक्षण दिये जाने की भी मांग की गयी.

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