एक ओर जहां पंजाब के एक दंपती ने दावा किया है कि पाकिस्तान में एक एनजीओ के पास रह रही गीता नाम की लड़की उनकी बेटी है, वहीं झारखंड के गिरिडीह जिले के एक दंपती ने भी दावा किया कि यह बच्ची उनकी हो सकती है उक्त दंपती ने बताया कि उनकी मूक बधिर बिटिया भी घर से गायब हो गयी थी.उधर, झारखंड के बाल अधिकार कार्यकर्ता बैजनाथ कुमार ने आज झारखंड के इस दंपती की तसवीर पाकिस्तान के एनजीओ के पास भेजी. जिसे पहचानने से गीता ने इनकार कर दिया. उसने कहा कि ये उसके माता-पिता नहीं. ऐसे में झारखंड की इस दंपती का दावा खारिज हो जाता है.
दूसरी तरफ गीता ने पंजाब के अमृतसर की दंपती के दावे को इनकार कर दिया. उसने कहा है कि उसकी मां घर में सलवार कमीज नहीं पहनती थी वह साड़ी पहनती थी.
प्रभात खबर ने क्या की थी पहल
प्रभात खबर ने भी गीता के घर का पता लगाने का एक प्रयास किया और इस प्रयास में हमें पता चला कि डुमरी प्रखंड से सटे राजाटांड़ गांव में एक ऐसे परिवार को ढूंढ़ निकाला है जिसकी बेटी भी लगभग एक दशक पूर्व से लापता है. भुल्लो महतो और बचनी देवी की लापता बेटी भी मूक-बधिर थी और अब उसकी उम्र लगभग 23 वर्ष हो चुकी होगी. बुधवार की दोपहर प्रभात खबर की टीम बोकारो के नावाडीह प्रखंड के राजाटांड़ (भेंडरा) निवासी भुल्लो महतो के घर पहुंची, तो परिवार वाले बेटी के बारे में जानने को बेचैन हो उठे. प्रभात खबर ने गीता की तसवीर जब भुल्लो की पत्नी बचनी को दिखायी तो वह काफी देर तक गौर से उसे देखती रही.
तसवीर देखने के बाद बचनी देवी ने कहा कि इ कोकिया जैसन लागे हो. बचनी ने गीता की तसवीर अपनी दूसरी बेटी के अलावा रिश्तेदारों व पड़ोसियों को भी दिखायी. अधिकतर लोगों ने कहा कि गीता का चेहरा कोकिया से काफी मिलता-जुलता है. बाद में बचनी ने काम पर निकले अपने पति भुल्लो महतो को बुलावा भेजा. भुल्लो पहुंचा तो उसने भी गीता की तसवीर को देख कहा कि इसका चेहरा कोकिया से मिलता-जुलता है. प्रभात खबर से बातचीत के क्रम में बचनी ने बताया कि उसको छह बच्चे हैं. इनमें दो पुत्र उमेश व रमेश के अलावा अंबिया, सुमित्र, मालती हैं. कोकिया छोटी बेटी थी.
घर से निकली, पर नहीं लौटी
बचनी देवी ने बताया कि जब उसकी बेटी लापता हुई थी, उस वक्त 10-12 साल की थी. कोकिया बोल व सुन नहीं सकती थी. ऐसे में वे लोग उसे घर से कम ही निकलने देते थे. जिस दिन वह लापता हुई, कोकिया बकरी चराने गयी थी. उसके साथ अन्य बच्चे भी थे. सभी बच्चे आ गये लेकिन कोकिया घर नहीं लौटी. खोजने के क्रम में पता चला कि कोकिया पहले गोमो की ओर गयी. इसके बाद बलथरिया होते हुए इसरी बाजार चली गयी थी. कोकिया की मां व पिता ने बताया कि वे लोग इसरी बाजार भी गये लेकिन कोकिया का कुछ अता-पता नहीं चला. घर में कोकिया की बचपन की तसवीर नहीं हैं, लेकिन परिवार के पास समाज कल्याण विभाग बोकारो द्वारा जारी नि:शक्त प्रमाण पत्र है, जिसमें लगा फोटो थोड़ा धुंधला हो चुका है.