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तय समय में जनता को न्याय, शिकायतों का निबटारा नहीं करने पर जुर्माना, बरखास्तगी भी

पटना : राज्य सरकार में चलायी जा रही किसी योजना, कार्यक्रम व सेवा से संबंधित जनता की शिकायतों का तय समयसीमा के अंदर निबटारा करना होगा. ऐसा नहीं करनेवाले अधिकारी पर पांच हजार रुपये तक जुर्माना या उनकी बरखास्तगी की कार्रवाई भी की जा सकती है.मंगलवार को विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से पेश […]

पटना : राज्य सरकार में चलायी जा रही किसी योजना, कार्यक्रम व सेवा से संबंधित जनता की शिकायतों का तय समयसीमा के अंदर निबटारा करना होगा. ऐसा नहीं करनेवाले अधिकारी पर पांच हजार रुपये तक जुर्माना या उनकी बरखास्तगी की कार्रवाई भी की जा सकती है.मंगलवार को विधानसभा में राज्य सरकार की ओर से पेश बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक-2015 को पारित कर दिया गया. इस विधेयक में आम लोगों को फोन से अपनी शिकायतें लिखवाने का प्रावधान किया गया है.

इस विधेयक को बुधवार को विधान परिषद में पेश किया जायेगा. दोनों सदनों की मंजूरी के बाद नियमावली तैयार की जायेगी. कैबिनेट की मंजूरी के बाद शिकायतों के निबटारे की समयसीमा और अपीलीय प्राधिकार के अधिकारी तय किये जायेंगे. इसके बाद यह कानून प्रभावी हो जायेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि वर्ष 2006 से मैंने जनता की समस्याओं के निदान के लिए ‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम शुरू किया. फिर इस कार्यक्रम से डीएम, एसडीएम और थाना तक को जोड़ा गया. जिला, अनुमंडल और थानों तक में जनशिकायतें सुनने का वक्त मुकर्रर किया गया. शिकायतें भी दूर हो रही हैं. शिकायतों का डॉक्यूमेंटेशन हो रहा है.
शिकायत निवारण की समीक्षा भी हो रही है. आय, जाति, भूमि और आवास प्रमाणपत्रतय समयसीमा पर मिले इसके लिए बिहार में लोक सेवा अधिकार कानून भी बना. इस कानून को पारित करते वक्त भी सदन में कई सवाल उठाये गये थे. चार वर्षो में इस कानून के तहत 10 करोड़ सेवाओं का निबटारा हुआ है. उन्होंने कहा कि ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक’ उससे भी अधिक प्रभावकारी साबित होगा. इसमें लोगों को फोन से अपनी शिकायतें लिखवाने का प्रावधान किया गया है.
शिकायतों के निबटारे के लिए समयसीमा भी तय की गयी है. इसके तहत लोग प्रथम और द्वितीय अपीलीय प्राधिकार में भी जा सकेंगे. उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक के तहत सुनवाई और समाधान की समयसीमा में सुधार होगा.इसमें दोषी अधिकारियों की बरखास्तगी का भी प्रावधान किया गया है. यह कोई दंतहीन विधेयक नहीं, बल्कि सक्षम प्राधिकार होगा. इस विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए महीनों मंथन किया गया है. इस अभियान को जमीन पर उतारने के पूर्व हर जिले में जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.
उन्होंने सदन से ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक-2015’ को सर्वसम्मति से पारित करने की अपील भी की. निवारण अधिकार विधेयक को सदन से पारित करने के पूर्व भाजपा के अरुण शंकर और विनोद नारायण झा ने जनमत जानने के लिए इसे प्रचारित कराने की अपील की, लेकिन उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया गया. भाजपा विधायक विनोद नारायण झा ने कहा कि विधेयक तो अच्छा है, लेकिन इसे जल्दीबाजी में लाया गया है. सिर्फ पब्लिसिटी के लिएलाया गया है.
राजसत्ता पर जनसत्ता का नियंत्रण : नीतीश
विधानसभा में मुख्यमंत्री ने इस विधयेक पर कहा कि लोकतंत्र में राजसत्ता पर जनसत्ता का नियंत्रण होना चाहिए. हमने 74 के जेपी आंदोलन से यही सीखा है. बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार विधेयक लोगों को ताकत प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि इससे राज्य में प्रशासनिक कल्चर बदलेगा और जन प्रतिनिधियों को मिलेगी अधिक मजबूती मिलेगी.
विधयेक में क्या-क्या
– सबसे पहले लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास शिकायत
– लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की कार्रवाई से असंतुष्ट होने पर 30 दिनों में प्रथम अपीलीय प्राधिकार के सामने अपील. विशेष परिस्थिति में अपील के लिए 15 दिनों की और छूट
– प्रथम अपीलीय प्राधिकार के निर्णय को 30 दिनों में दूसरे अपीलीय प्राधिकार में चुनौती दी जा सकेगी. उचित कारण होने पर 45 दिनों से अधिक की अवधि में भी अपील स्वीकार्य होगा
– दूसरा अपीलीय प्राधिकार भी 30 दिनों में अपील का निबटारा करेगा
– उसे 500 से पांच हजार का जुर्माना व दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश का अधिकार
– दोषी पदाधिकारियों को 75 दिनों में पुनर्विचार आवेदन देने का अधिकार
– इस अधिनियम के तहत कार्रवाई को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी
– लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्रथम अपीलीय व दूसरे अपीलीय प्राधिकार को सिविल कोर्ट का अधिकार

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