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गीता को उसके वतन पहुंचाने के अभियान में जुटे दो मुल्कों के लोग
कराची/ नयी दिल्ली: बजरंगी भाईजान अब सिर्फ एक फिल्म की कहानी नहीं रही बल्कि एक सच्ची कहानी में तब्दील हो गयी. रील लाइफ की मुन्नी कुछ बोल नहीं सकती थी, लेकिन रियल लाइफ की गीता बोल भी नहीं सकती और सुन भी नहीं सकती. जिस एनजीओ ने गीता की पाकिस्तान में मदद की उसका दावा […]
कराची/ नयी दिल्ली: बजरंगी भाईजान अब सिर्फ एक फिल्म की कहानी नहीं रही बल्कि एक सच्ची कहानी में तब्दील हो गयी. रील लाइफ की मुन्नी कुछ बोल नहीं सकती थी, लेकिन रियल लाइफ की गीता बोल भी नहीं सकती और सुन भी नहीं सकती. जिस एनजीओ ने गीता की पाकिस्तान में मदद की उसका दावा है कि भारत के कई लोग गीता से मिलने आते थे. उन्ही में से किसी ने प्रेरित होकर फिल्म बजरंगी भाईजान कहानी लिखी है. फिल्म में जिस तरह सीमाओं की दीवार को तोड़कर मुन्नी अपने घर पहुंच जाती है ठीक उसी प्रकार गीता के लिए भी दोनों देशों के लोग मिलकर प्रयास कर रहे हैं.
इन दो देश के लोगों को गीता ने एक लक्ष्य दे दिया है उसे घर तक पहुंचाने का शायद यही कारण है कि भारत और पाकिस्तान के लोग फेसबुक और टि्वटर के जरिये एक लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं. गीता के नाम से कई फेसबुक पेज बन चुके हैं. झारखंड जहां गीता अपना घर बताती है वहां के अखबारों में भी गीता की कहानी छप रही है. फेसबुक के जरिये झारखंड के भी कई लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं अब मौका है दोनों देशों के लोगों के लिए एक मिसाल कायम करने का. पाकिस्तान के कराची से उठी आवाज दिल्ली से होते हुए अब झारखंड तक पहुंच रही है. आइये जानते हैं क्या है गीता की कहानी और कैसे पहुंची गीता पाकिस्तान.
तेज होने लगी है गीता को भारत लाने की मुहिम
फिल्म की मुन्नी भले ही कम वक्त में अपने वतन पहुंच गयी हो लेकिन रियल लाइफ की गीता को अबतक अपने वतन में आवाज पहुंचाने में कुल 14 साल का वक्त लग गया. सरकार भी अब गीता के वतन वापसी पर एक्शन ले रही है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस पूरी मुहिम पर कदम उठाया है भारतीय उच्चायुक्त को गीता से मुलाकात करने को कहा है.पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त राघवन, उनकी पत्नी रंजना राघवन और विदेश मंत्रालय के कुछ अफसरों को गीता से मिलने की परमिशन दी थी.
कैसे पाकिस्तान पहुंची गीता
गीता गूंगी और बहरी है इशारों में भटक कर पाकिस्तान पहुंचने की कहानी बताती हैं. गीता ने इशारों में बताया कि कैसे वह एक मेले में गयी थी और वहां से भटक गयी. फिर उन्होंने गलत बस पकड़ी और भटकते-भटकते पाकिस्तान पहुंच गयी. एक पुलिस वाले ने उसे पकड़ा भी लेकिन कोर्ट ने उसे सजा देने से इनकार कर दिया और एक एनजीओ को सौंप दिया तब से गीता पाकिस्तान के एक एनजीओ के संरक्षण में रह रही है. एनजीओ ने भी उसके घर को ढुढ़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.
झारखंड से है गीता का कनेक्शन!
गीता कहां की रहने वाली है इसका जवाब शायद गीता ही दे सकती है लेकिन वह इशारों में शायद अपने घर का पता बता रही है लेकिन उसे समझने वाला कोई नहीं. वह बताती है कि उसके परिवार में कितने भाई बहन है. उसका घर कैसा है लेकिन उसे समझने वाला कोई नहीं. भारत के नक्शे पर गीता की नजरें बार- बार झारखंड के पास आकर ठिठक जाती है कई बार इशारों में गीता ने बताया कि उसका घर झारखंड में है.
जिस एनजीओ में गीता रहती है वहां के लोग भी बताते है कि गीता की लिखावट यहां की मुंडारी भाषा की लिखावट से मिलती है. वह लिख कर बताती है कि उसके घर का नंबर 193 है, लेकिन झारखंड के किस जिले में किस पंचायत के किस गांव में गीता का घर है इसे तलाशना अभी भी बाकी है. बहरहाल गीता की बेजुबान आवाज जब भारत तक पहुंच गयी है तो उसके घर का पता लगाना अब शायद ज्यादा मुश्किल भरा ना हो.
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