अटारी (अमृतसर) : पाकिस्तान द्वारा सप्ताहांत में सद्भावना के तहत जिन तीन नाबालिगों सहित 160 से अधिक भारतीय मछुआरों को रिहा किया, वे भारत आ गये हैं. भारतीय मछुआरों के भारत की सीमा में आने पर कई भावुक दृश्य देखने को मिले. कई मछुआरों को घुटनों के बल झुककर अपनी सरजमीं को चूमते हुए देखा गया, जबकि कई ने अपनी मातृभूमि को सलाम किया. हाल में रुस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच हुई मुलाकात के दौरान सहमति बनने के बाद इन मछुआरों को पाकिस्तानी की दो जेलों से सद्भावना के तहत रिहा किया गया.
बीती रात को यहां पहुंचे मछुआरों को अटारी-वाघा सीमा पर संयुक्त चौकी में अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया. अधिकारियों ने यहां बताया कि सभी मछुआरे भारतीय उच्चायुक्त द्वारा जारी ‘आपात यात्रा दस्तावेज’ के आधार पर भारत पहुंचे. कराची के लांधी और मलीर जेलों से रिहा किये गये मछुआरों में 11 वर्षीय एक बच्चा भी शामिल था. देर रात करीब एक बजे यहां पहुंचने के बाद भारतीय चिकित्सकों के एक दल ने सभी मछुआरों का चिकित्सकीय परीक्षण किया.
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए राजा राम, साधु राम कामता और रवींद्र सहित कुछ मछुआरों ने कहा कि मछली पकडने के दौरान ये सभी पाकिस्तान की ओर चले गये थे और अवैध रूप से मछली पकडने के आरोप में इन्हें पाकिस्तानी तटरक्षक ने गिरफ्तार कर लिया था. मछुआरों ने अपनी पीडा बयां करते हुए कहा कि उनकी कीमती नौकाएं अभी भी पाकिस्तानी अधिकारियों के पास हैं, इसलिए वे मछली पकडने के काबिल नहीं रहे.
मछुआरों ने बताया कि एक नौका की कीमत करीब तीन लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक होती है. कुछ मछुआरों ने यह भी बताया कि वह पहले से ही कर्ज के तले दबे हुए हैं क्योंकि उन्होंने इन नौकाओं को ऋण लेकर खरीदा था.