सिमरिया गंगा घाट से 58 किमी पैदल चल कर बाबा मंदिर पहुंचते हैं शिवभक्त
एक को सांसद व जिलाधिकारी मेले का करेंगे उद्घाटन
सावन माह में प्रत्येक दिन 50 हजार से अधिक शिवभक्त चढ़ाते हैं जल
बेगूसराय/गढ़पुरा : सावन माह में जहां देवघर में लाखों शिवभक्त सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की दूरी तय कर बोलबम के जयकारों के बीच पहुंचते हैं, वहीं दूसरी ओर जिले के गढ़पुरा स्थित बाबा हरिगिरिधाम का मंदिर भी मिनी देवघर के रू प में प्रसिद्ध है.
जहां सावन माह में प्रत्येक दिन 50 हजार से अधिक शिव भक्त भगवान शिव पर गंगा जल और बेलपत्र चढ़ा कर पूरे वर्ष अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करते हैं. इस आयोजन को लेकर बाबा हरिगिरिधाम का मंदिर शिव भक्तों के आगमन को लेकर सज-धज कर तैयार हो गया है. एक अगस्त को बेगूसराय के सांसद डॉ भोला सिंह एवं बेगूसराय के जिलाधिकारी सीमा त्रिपाठी श्रावणी मेले का उद्घाटन करेंगे.
सिमरिया गंगा घाट से भरते हैं जल : देवघर की तरह ही मिनी देवघर के रू प में प्रसिद्ध हो चुके बाबा हरिगिरिधाम में शिवभक्त मिथिलांचल की पवित्र तीर्थ स्थली सिमरिया गंगा घाट से गंगा जल लेकर कांवर के साथ 58 किलोमीटर की दूरी तय कर बाबा हरिगिरिधाम पहुंच कर जलार्पण भगवान शिव पर करते हैं.
इतना ही नहीं सावन माह में प्रत्येक सोमवार को सैकड़ों की संख्या में डाक बम भी सिमरिया गंगा घाट से जल लेकर मंदिर तक पहुंचते हैं. इस दौरान सिमरिया गंगा घाट से लेकर गढ़पुरा बाबा हरिगिरिधाम के मंदिर तक जगह-जगह लोगों के द्वारा कांबरियों का जोरदार स्वागत किया जाता है. बड़ी ही अद्भुत छंटा पूरे सावन माह सिमरिया गंगा घाट से लेकर हरिगिरिधाम तक देखने को मिलती है.
मेला प्राधिकार खर्च करता है लाखों रुपये : बाबा हरिगिरिधाम में वर्ष में चार बार राजकीय मेला का आयोजन किया जाता है. इसमें सरकार के द्वारा लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं. इसके बाद भी जिस अनुपात में शिवभक्तों की भीड़ जुटती है. उस अनुपात में सरकारी सुविधाएं आने वाले श्विभक्तें को नहीं मिल पाती है,जिससे प्रत्येक वर्ष आने वाले शिवभक्त सरकारी व्यवस्था से खिन्न दिखाई पड़ते हैं.
कांवरियों की लंबी कतारें लगती है लेकिन देवघर की तरह कांवरियों को खुले आसमान में ही घंटों बाबा के दर्शन के लिए इंतजार करना पड़ता है. ज्ञात हो कि लगभग पांच वर्ष पूर्व स्थानीय विधायक रामानंद राम के प्रयास से राजकीय मेला का दर्जा बाबा हरिगिरिधाम को मिल पाया था.
रास्ते में कड़ी रहती है सुरक्षा : सिमरिया गंगा घाट से जल लेकर शिवभक्त जीरो माइल होते हुए बथौली ढाला, मैदा वभनगामा, वीरपुर, कोरिया होते हुये महेशवाड़ा, जयमंगलागढ़, रूजौड़, दुनही चौक के रास्ते बाबा हरिगिरिधाम तक पहुंचते हैं.
इन रास्तों में पुलिस के द्वारा विशेष चौंकसी बरती जाती है ताकि आने वाले शिवभक्तों को किसी प्रकार की परेशानियों से न जूझना पड़े. धाम के आसपास पर्याप्त मात्र में इस बार भी रोशनी एवं ध्वनि विस्तारक यंत्र की व्यवस्था की गयी है.
गढ़पुरा प्रखंड प्रशासन का कहना है कि आने वाले शिवभक्तों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए मुकम्मल व्यवस्था की गयी है. अब देखना यह है कि श्रावणी मेले के दौरान एक माह तक मिनी देवघर में पहुंचलेवाले लाखों शिवभक्त सरकारी व्यवस्था से कितना संतुष्ट हो पाते हैं.
श्मशान घाट से बना बाबा हरिगिधाम धाम
मिथिलांचल के मिनी बाबाधाम के नाम से प्रसिद्ध बाबा हरिगिरधाम गढ़पुरा के भक्तों में एक अलग हीश्रद्धा व विश्वास स्थापित हो चुका है. चंद्रभागा नदी के तट पर अवस्थित इस घाम के स्थल के बारे में लोगों का मानना है कि पहले इस जगह पर श्मशान घाट हुआ करता था. इसको लेकर कई ब्राह्म ण व तपस्वियों ने इस जगह पर अपनी सिद्धि प्राप्त की है.
इस स्थल के बारे में लोगों का कहना है कि बहुत साल पहले तक यह स्थल श्मशान जंगल से घिरा था. उस बीच पुराने मंदिर में हर किसी को पहुंचना मुश्किल होता था. बताया जाता है कि जो भी व्यक्ति किसी प्रकार की मनोकामना लेकर पहुंचते थे, उनकी मनोकामना पूर्ण होती थी. धीरे-धीरे इस क्षेत्र के लोगों में श्रद्धा और विश्वाश बढ़ता गया.
नतीजा हुआ कि शिवभक्तों का कारवां बढ़ता गया. बाद में यह मंदिर बाबा हरिगिरिधाम के रू प में इतना प्रसिद्ध हो गया कि सिर्फ बेगूसराय ही नहीं, वरन मिथिलांचल के कई जिलों के अलावा नेपाल से भी शिव भक्त यहां पहुंच कर बाबा हरिगिरिधाम में जलार्पण कर मन्नतें मांगते हैं.