हाल ही में जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप द्वारा झारखंड विधानसभा सदस्यों को प्रशिक्षण दिया गया. टेलीविजन चैनलों पर जो कुछ देखने को मिला, उसने राज्य की आम जनता को शर्मसार कर दिया. इस प्रशिक्षण के दौरान कई सदस्य सोते नजर आये. इन सदस्यों में कुछ पढ़े-लिखे सदस्य भी थे.
इतना ही नहीं, सोनेवाले माननीय सदस्यों में तो एक प्रोफेसर भी शामिल थे. कभी वे वित्त विभाग को संभालते थे. संविधान में व्यवस्था है कि देश का कोई भी नागरिक जनप्रतिनिधि चुने जाने की योग्यता रखता है.
चिंताजनक वस्तुस्थिति यह है कि विधानसभा सदस्य के लिए विधायक वह बन सकता है, जिसके पास 25-30 लाख रुपये और सांसद बनने के लिए दो से चार करोड़ रुपये खर्च करने की क्षमता हो. अब भला बताइए, जो माननीय इतना खर्च करेंगे, वे आराम तो फरमायेंगे ही.
विश्वनाथ झा, देवघर