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60 से 300 फीट चौड़ी होंगी सड़कें

रांची : राजधानी के नये मास्टर प्लान में शहर के सभी सड़कों की चौड़ाई निर्धारित कर दी गयी है. सड़क की चौड़ाई का प्रयोग भवन के निर्माण में नहीं किया जायेगा. मास्टर प्लान में वर्तमान सड़कों की भी चौड़ाई निर्धारित की गयी है. सड़कों को चौड़ा करने के लिए जमीन मालिकों से भूमि अधिग्रहण का […]

रांची : राजधानी के नये मास्टर प्लान में शहर के सभी सड़कों की चौड़ाई निर्धारित कर दी गयी है. सड़क की चौड़ाई का प्रयोग भवन के निर्माण में नहीं किया जायेगा. मास्टर प्लान में वर्तमान सड़कों की भी चौड़ाई निर्धारित की गयी है. सड़कों को चौड़ा करने के लिए जमीन मालिकों से भूमि अधिग्रहण का प्रावधान किया गया है.
हालांकि यह भी साफ कर दिया गया है कि इस काम में किसी का विस्थापन नहीं किया जायेगा. सड़कों की प्रस्तावित चौड़ाई पैसिव डेवलपमेंट के आधार पर प्राप्त की जायेगी. वर्तमान सड़क की चौड़ाई को प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई करने के लिए आवश्यक भू-पट्टी संबंधित सड़क के दोनों ओर के भू-स्वामियों से बराबर भाग में ली जायेगी. सड़क चौड़ीकरण के लिए ली गई भू-पट्टी पर देय फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) प्रभावित भूखंडधारी को ट्रांसफर ऑफ डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) के रूप में अथवा प्रभावित भूखंड के शेष भाग पर एफएआर के रूप में देय होगा.
प्रस्तावित सड़क की चौड़ाई से किसी भी व्यक्ति के आवास को विस्थापित नहीं किया जायेगा. राज्य सरकार द्वारा किसी खास प्रयोजन/संस्थान अथवा केन्द्र सरकार के संस्थान इत्यादि के लिए जमीन अधिगृहीत करती है तो उस स्थान विशेष का लैंड यूज होने वाले संस्थान/प्रयोजन के अनुरूप समझा जायेगा.
फ्लोर एरिया रेशियो निर्धारित किया गया
फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) रांची नगर निगम क्षेत्र में अधिकतम 2.़5 तथा निगम क्षेत्र से बाहर एवं रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के प्लानिंग एरिया तक अधिकतम 3.0 प्लानिंग स्टैंडर्ड के प्रावधानों के अनुरूप निर्धारित रहेगा.
कमजोर आय वर्ग (इडब्लूएस) तथा अल्प आय वर्ग (एलआइजी) के आवास के लिए जितनी भूमि या फर्श क्षेत्र का उपबंध करेगा उसे उसी क्षेत्रफल के लिए देय एफएआर का 0.05 एफएआर का अतिरिक्त लाभ दिया जायेगा. उनके लिए भूमि तथा फर्श क्षेत्र का उपबंध झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के प्रावधान भी प्रभावी रहेगें.
उनके लिए निर्मित होनेवाले आवासों का आवंटन योग्यताधारी लाभुकों के बीच संबंधित निकाय अथवा प्राधिकार द्वारा किया जायेगा. ऐसे लोग आवासन के लिए परिसर का विकास करेंगे तो उसे देय एफएआर के अलावा पूरे परिसर क्षेत्र पर अतिरिक्त 0.75 एफएआर प्रोत्साहन के रूप में देय होगा. इनके लिए न्यूनतम कारपेट एरिया झारखंड नगरपालिका अधिनियम में वर्णित क्षेत्रफल होगा.
र्ष 1965 में बनाया गया था पहला मास्टर प्लान
रांची का पहला मास्टर प्लान एकीकृत बिहार राज्य के समय में वर्ष 1965 में वर्ष 1983 तक के विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था. उस मास्टर प्लान में 12,9़50 वर्ग किमी के क्षेत्रफल को शामिल किया गया था.
फिर, वर्ष 1983 में पूर्व के मास्टर प्लान का संशोधन कर वर्ष 2001 तक के लिए (अनुमानित जनसंख्या 6,68,433) की विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया. उस समय 39,51,9.37 हेक्टेयर (395.19 वर्ग किमी) के क्षेत्रफल के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया.
वर्ष 2000 में झारखंड राज्य गठन के साथ ही रांची को राज्य की राजधानी घोषित कर दी गयी. इसके साथ ही शहरी जनसंख्या में वृद्धि की वजह से कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होनी शुरू हो गयी. राज्य गठन के बाद अब वर्ष 2015 में पहली बार मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. यह वर्ष 2037 तक की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया गया है.

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