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तोमर प्रकरण : उत्तीर्ण छात्रों की सूची में तोमर का नाम नहीं

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री मामले में चौथी बार शनिवार को दोपहर दिल्ली पुलिस तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय पहुंची. दिल्ली पुलिस साथ में एक सूची लेकर आयी है, जो टीएमबीयू द्वारा विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान, मुंगेर को जारी की गयी थी. यह सूची वर्ष 1999 में हुई एलएलबी पार्ट […]

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री मामले में चौथी बार शनिवार को दोपहर दिल्ली पुलिस तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय पहुंची. दिल्ली पुलिस साथ में एक सूची लेकर आयी है, जो टीएमबीयू द्वारा विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान, मुंगेर को जारी की गयी थी.
यह सूची वर्ष 1999 में हुई एलएलबी पार्ट थ्री की परीक्षा के उत्तीर्ण छात्रों की है. सूत्र का कहना है कि उस सूची में तोमर का नाम ही नहीं है. पुलिस केवल इस बात से आश्वस्त होना चाह रही है कि उक्त सूची टीएमबीयू से ही जारी की गयी थी.
पुलिस ने विवि के प्रशासनिक भवन में रजिस्ट्रार प्रो गुलाम मुस्तफा के साथ बातचीत की. इसके बाद इस मामले को देख रहे कॉलेज इंस्पेक्टर को भी बुलाया गया और उनसे कई कागजात की मांग की. साथ ही तोमर को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी करनेवाले तत्कालीन कुलसचिव डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह को भी बुला कर पूछताछ की गयी. बताया जाता है कि विवि द्वारा विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान को जारी की गयी उत्तीर्ण छात्रों की सूची में डॉ सिंह का हस्ताक्षर है.
अब सवाल उठ रहा है कि जब तोमर उत्तीर्ण ही नहीं हुए थे, तो उनके नाम से प्रोविजनल सर्टिफिकेट, मार्क्‍सशीट व मूल प्रमाणपत्र विवि से कैसे जारी हो गये. दूसरा मुख्य सवाल यह कि विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान किस आधार पर वह टीआर पेश कर दिया, जिसमें तोमर के उत्तीर्ण होने का उल्लेख है.
लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी दिल्ली पुलिस
टीएमबीयू : विश्वविद्यालय में अब ढूंढ़ना होगा सूची जारी करने का रजिस्टर
भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री का मामला तब तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय का पीछा नहीं छोड़ेगा, जब तक कि यह साबित नहीं हो जाती कि डिग्री फर्जी है या सही है.
वैसे दिल्ली पुलिस जो सूची लेकर आयी है, वह यह साबित कर देगी कि फर्जीवाड़ा हुआ या नहीं. इस बात से यह प्रबल संभावना दिख रही है कि दिल्ली पुलिस लक्ष्य के करीब पहुंच चुकी है. इस कारण विश्वविद्यालय से लेकर विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान के उन कर्मियों चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं, जो तोमर प्रकरण में शामिल हैं.
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली पुलिस जो सूची लेकर आयी है, वह उत्तीर्ण छात्रों की है. उस समय टीएमबीयू टीआर जारी करने से पहले उत्तीर्ण छात्रों की सूची भी जारी करता था. उस सूची में तोमर का नाम नहीं है. जब तोमर उत्तीर्ण ही नहीं हुए थे, तो विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान ने किस आधार पर टीआर (टेबलेटिंग रजिस्टर) विश्वविद्यालय को भेजा था, जिसमें तोमर के उत्तीर्ण होने का उल्लेख है.
उल्लेखनीय है कि उसी टीआर के आधार पर तोमर को मूल प्रमाणपत्र भी जारी किया गया था. सूची से यह साबित हो सकती है कि विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में उपलब्ध टीआर फर्जी है. यही नहीं विश्वविद्यालय उस टीआर की मूल कॉपी का गायब होना इस बात को साबित कर सकता है कि तोमर को डिग्री जारी करने में विवि के भी कर्मियों की मिलीभगत थी.
निर्गत रजिस्टर से होगा मिलान
दिल्ली पुलिस को उत्तीर्ण छात्रों की सूची विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में जांच के दौरान मिली थी. बताया जाता है कि पुलिस अन्य कागजात के साथ सूची भी लेकर दिल्ली चली गयी थी. दिल्ली जाने के बाद जब कागजात की गहन पड़ताल की गयी, तो सूची में तोमर का नाम ही नहीं मिला.
दिल्ली पुलिस डिग्री के मामले में जहां पहुंचना चाह रही थी, सूची से उन्हें सफलता मिल गयी. लेकिन पुलिस इस बात से आश्वस्त होना चाह रही थी कि सूची विश्वविद्यालय से जारी की गयी, तो उसे निर्गत करने का रजिस्टर विवि में होना चाहिए. पुलिस उस रजिस्टर में उपलब्ध सूची की मूल कॉपी से मिलान करना चाह रही है.
अप्रैल से शुरू हुआ था तोमर प्रकरण
प्रकरण को जिस अंक ने सुलगाने का काम किया है, वह है 3687. इस अंक ने न सिर्फ देश भर में मामले को चर्चित कर दिया, बल्कि दिल्ली पुलिस को भी तोमर को साथ लेकर भागलपुर लाने पर मजबूर कर दिया. दरअसल तोमर के जो प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा भागलपुर विश्वविद्यालय को भेजे गये थे, उसका सीरियल नंबर 3687 है.
साथ ही उस पर डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह का हस्ताक्षर रजिस्ट्रार/परीक्षा नियंत्रक के रूप में है. इसके इशू डेट 18.5.2001 का उल्लेख है. विश्वविद्यालय ने जब इस सीरियल नंबर को रेकर्ड में ढूंढ़ना शुरू किया था, तो चौंकानेवाले मामले सामने आये थे. 3687 सीरियल नंबर से संजय कुमार चौधरी को प्रोविजनल सर्टिफिकेट जारी होने का उल्लेख रेकर्ड में मिला.
रेकर्ड के मुताबिक 3687 नंबर के प्रोविजनल सर्टिफिकेट पर डॉ गुलाम मुस्तफा के हस्ताक्षर मिले न कि डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह के. यही नहीं, उसका इशू डेट 29.7.1999 रेकर्ड में दर्ज था न कि 18.5.2001. इसकी विस्तृत रिपोर्ट विश्वविद्यालय ने हाइकोर्ट को प्रस्तुत की थी. बाद में जब दिल्ली पुलिस ने विवि में प्रोविजनल सर्टिफिकेट के निर्गत करने की जांच की, तो पता चला कि 3687 नंबर के दो प्रोविजनल सर्टिफिकेट टीएमबीयू ने जारी किया था.
एक तरफ अंकपत्र, दूसरी ओर सूची
हाइकोर्ट द्वारा टीएमबीयू को भेजे गये अंकपत्र के मुताबिक तोमर ने वर्ष 1995 में हुई एलएलबी पार्ट वन की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की थी. एलएलबी पार्ट टू की वर्ष 1996 में हुई. परीक्षा द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की थी. एलएलबी पार्ट थ्री की वर्ष 1999 में हुई परीक्षा भी द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की थी. दूसरी ओर उत्तीर्ण छात्रों की सूची में तोमर का नाम नहीं है.
एडीसीपी ने किया था इशारा
25 जून को भागलपुर विश्वविद्यालय से जाते समय दिल्ली पुलिस के एडीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा से जब पत्रकारों ने पूछा था कि क्या तोमर की डिग्री फर्जी साबित करने में दिल्ली पुलिस नाकाम रही है.
इस पर उनका कहना था कि अभी जांच चल ही रही है, इसलिए कुछ बोल नहीं सकते. लेकिन जो आप कह रहे हैं, वैसा नहीं है. उन्होंने कई अहम साक्ष्य मिलने की ओर भी इशारा कर दिया था. इसके बाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के छह कर्मियों को दिल्ली तलब कर पूछताछ भी कर चुकी है

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