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रविशंकर प्रसाद ने कहा, संचार कमेटी की रिपोर्ट सरकार का आधिकारिक पक्ष नहीं

नयी दिल्ली : संचार कमेटी की रिपोर्ट सरकार के पास पुहंच गयी है लेकिन आज एक कार्यक्रम के इतर रविशंकर प्रसाद ने साफ कर दिया कि कमेटी की रिपोर्ट सरकार का आधिकारिक पक्ष नहीं है. संचार मंत्रालय द्वारा गठित टीम ने नेट न्यूट्रेलिटी का समर्थन किया और रिपोर्ट में नेट न्यूट्रेलिटी से जुड़ी 24 सिफारिश […]

नयी दिल्ली : संचार कमेटी की रिपोर्ट सरकार के पास पुहंच गयी है लेकिन आज एक कार्यक्रम के इतर रविशंकर प्रसाद ने साफ कर दिया कि कमेटी की रिपोर्ट सरकार का आधिकारिक पक्ष नहीं है. संचार मंत्रालय द्वारा गठित टीम ने नेट न्यूट्रेलिटी का समर्थन किया और रिपोर्ट में नेट न्यूट्रेलिटी से जुड़ी 24 सिफारिश संबंधित विभाग को दी गयी है.
आज एक मीडिया समूह के कार्यक्रम के इतर टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने साफ कर दिया कि टीम की रिपोर्ट जो हमें सौंपी गयी है यह रुख सरकार का नहीं है. इस पर अभी फैसला होना बाकि है. इसकी सिफारिशों को ध्यान में रखकर सरकार फैसला करेगी. इसे रिपोर्ट को अभी टी. आर. आई के पास भेजा जाना है. कमेटी की रिपोर्ट आधिकारिक रिपोर्ट नहीं मानी जा सकती है यह रिपोर्ट सरकार को फैसला लेने में मदद जरूर करेगी. गौरतलब है कि नेट न्यूट्रेलिटी पर भारत में बहुत पहले से एक लंबी बहस चल रही थी.
सोशल मीडिया में भी नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर एक लंबी बहस छिड़ी और फिल्म स्टार भी इसके समर्थन में खुलकर सामने आये. नेट न्यूट्रेलिटी की मांग संसद में भी गूंजी इस मुद्दे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था. विपक्ष ने भी नेट न्यूट्रेलिटी पर अपना समर्थन जताया था. हालांकि सरकार ने इस पर रिपोर्ट आने के बाद किसी फैसले तक पहुंचने की बात कही थी.कार्यक्रम में रविशंकर प्रसाद ने डिजीटल इंडिया के सफल आयोजन पर भी जोर दिया और कहा इससे विकास में और सरकार के काम में सहायता मिलेगी.
जानिये आखिर कैसे शुरू हुई नेट न्यूट्रेलिटी पर बहस
भारती एयरटेल ने स्काईप और वाइबर के लिए अतिरिक्त शुल्क लेने की घोषणा की कंपनी का तर्क था कि इस कॉलिंग फेसलिटी से उन्हें नुकसान हो रहा है. विरोध के कारण कंपनी को यह फैसला वापस लेना पड़ा. इसके बाद रिलायंस कम्युनिकेशन ने फेसबुक के साथ एक समझौता हुआ जिसमें वेबसाइट उपयोग के लिए मुफ्त डाटा की सुविधा दी गयी. इसके बाद अप्रैल 2015 में एयरटेल ने बगैर डाटा शुल्क के कुछ एप्लीकेशन इस्तेमाल करने की छुट दी जिसमें ऑनलाइन शापिंग जैसे एप्स थे.
यहां से विरोध मजबूत होने लगा. यूट्यूब पर नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर कई वीडियो तैयार किये गये जिसमें दिखाया गया कि कैसे हर अलग सुविधा के लिए उन्हें अलग- अलग पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. इसकी आवाज तेज हुई और कई कंपनियों ने इस तरह के करार से अपने हाथ पीछे खींच लिए. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने 15 अप्रैल, 2015 को कहा कि इंटरनेट डॉट ऑर्ग और इंटरनेट निरपेक्षता दोनों साथ-साथ काम कर सकते हैं. इस तरह नेट न्यूट्रेलिटी की आवाज मुखर हुई

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