नयी दिल्ली :थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति लगातार आठवें महीने शून्य से नीचे बनी हुई है. जून में भी यह शून्य से 2.4 प्रतिशत नीचे रही. ऐसा आम तौर पर सस्ती सब्जियों और ईंधन मूल्य में कमी के कारण हुआ. हालांकि इस दौरान दालें मंहगी हुई हैं. सरकारी आंकडों के मुताबिक थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में शून्य से 2.36 प्रतिशत नीचे थी. नवंबर 2014 से यह शून्य से नीचे बनी हुई है.
एक साल पहले जून 2014 में यह 5.66 प्रतिशत थी. गौरतलब है कि कल आए खुदरा मुद्रास्फीति का आंकडा बढकर आठ महीने के उच्च स्तर, 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गया. विशेषज्ञों के मुताबिक परस्पर अलग रुख वाले आंकडों के मद्देनजर अब रिजर्व बैंक की नीतिगत पहलों के बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल हो जायेगा. आरबीआइ ने इस साल अब तक तीन बार मुख्य दरों में कटौती की है.
आरबीआइ अपनी मौद्रिक नीति संबंधी पहलों के लिए मुख्य रूप से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पर ध्यान देता है. केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति की अगली समीक्षा चार अगस्त को करेगा. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि वह अपनी नीतिगत दरों में किसी तरह के बदलाव से पहले मुद्रास्फीति समेत विभिन्न आंकडों और मानसून की प्रगति पर ध्यान रखेगा. पिछले महीने खाद्य कीमतें विशेष तौर पर गेहूं, फल एवं दूध की थोक कीमतों में नरमी रही.
कुल मिलाकर खाद्य खंड में थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति घटकर 2.88 प्रतिशत पर आ गई जो मई में 3.80 प्रतिशत थी. सब्जियों की कीमत 7.07 प्रतिशत घटी और आलू के दाम 52.50 प्रतिशत घटे. हालांकि, दालें पिछले महीने के मुकाबले 33.67 प्रतिशत मंहगी हुईं. ईंधन एवं बिजली खंड में मुद्रास्फीति जून में शून्य से 10.3 प्रतिशत नीचे रही. विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति शून्य से 0.77 प्रतिशत नीचे रही जो पिछले महीने शून्य से 0.64 प्रतिशत नीचे थी.
सीमेंट, गैर-धात्विक खनिज उत्पादों और परिवहन उपकरण एवं कल-पुर्जों में मंहगाई घटी. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक आरबीआइ द्वारा अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने की संभावना है क्योंकि वह मुद्रास्फीति के और आंकडे आने का इंतजार करेगा. केंद्रीय बैंक इसका भी इंतजार करेगा कि बैंक इस साल नीतिगत दरों में हुई कटौती का पूरा फायदा उपभोक्ताओं को दें. पिछले महीने आरबीआइ ने रेपो दर 7.5 प्रतिशत से घटाकर 7.25 प्रतिशत कर दी लेकिन अन्य नकदी आरक्षित अनुपात (सीआरआर) चार प्रतिशत और सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) को 21.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा.
खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.4 फीसदी पर
खाद्य वस्तुओं, ईंधन, आवास, कपड़ों और जूते-चप्पलों के दाम बढने से जून माह में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो इसका आठ माह का उच्चस्तर है. हालांकि, माह के दौरान चीनी व कनफेक्शनरी उत्पादों की कीमतों में कमी भी आई. मुद्रास्फीति बढने से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश घट गई है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 5.01 प्रतिशत पर थी. पिछले साल जून में यह 6.77 फीसद के स्तर पर थी. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आज जारी आंकडों के अनुसार जून महीने में सालाना आधार पर दालों के दाम 22.24 प्रतिशत बढे.
कुल खाद्य मुद्रास्फीति भी मई के 4.8 प्रतिशत से बढकर 5.48 प्रतिशत पर पहुंच गई. हालांकि, यह जून, 2014 की 7.21 प्रतिशत की खाद्य मुद्रास्फीति से कम है. वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि जून माह में खुदरा मुद्रास्फीति में बढोतरी ‘उल्लेखनीय’ नहीं है और बेहतर मानसून से इसके नीचे आने की उम्मीद है.
समीक्षाधीन महीने में फलों के दाम पिछले साल की इसी अवधि से 3.51 प्रतिशत व सब्जियों के दाम 5.37 प्रतिशत अधिक थे. इसी तरह जून, 2015 में दूध एक साल पहले की तुलना में 7.18 प्रतिशत महंगा था. प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों मसलन मीट व मछली के दाम जून में 6.99 प्रतिशत बढे, जबकि मसालों के दाम 9.71 प्रतिशत अधिक थे.
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