पटना: नि:शक्त हैं, लेकिन पढ़ाई का जुनून है. सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई करने में असहज महसूस कर रहे हैं, तो
घबराएं नहीं. आपकी मदद के लिए शिक्षा विभाग नयी व्यवस्था कर रहा है. नि:शक्त बच्चों की उचित देखभाल के लिए बिहार माध्यमिक शिक्षा परिषद सभी हाइ स्कूलों में ‘ममताश्रय’ का गठन कर रहा है. ममताश्रय न केवल नि:शक्त बच्चों की मदद करेगा, बल्कि उन्हें सामान्य बच्चों के साथ घुलने-मिलने का अवसर भी प्रदान करेगा. व्यवस्था इनक्लूसिव एजुकेशन फोर डिसएबल एट सेकेंडरी स्टेज (आइइडीएसएस) की समावेशी शिक्षा योजना के तहत हो रही है.
स्कूलों में एक मेंटर (शिक्षक) का चयन किया गया है,जो ममताश्रय के हेड होंगे. ममताश्रय के सदस्य नि:शक्त बच्चे व माताएं होंगी. साथ ही एक रिसोर्स रूम बनेगा. इसमें नि:शक्त बच्चों के जरूरत के सामान की व्यवस्था की जायेगी. हर महीने के प्रथम सप्ताह में बैठक होगी. इसमें नि:शक्त बच्चों का नामांकन कराने से लेकर उनके लिए कार्ययोजना तक तैयार की जायेगी. इसमें विद्यालय स्तर पर उनकी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी ममताश्रय के शिक्षक व सदस्यों की होगी.
लीडरशिप का विकास
इसके अलावा उसी स्कूल में ‘मित’ नामक ग्रुप तैयार होगा. ग्रुप में स्कूल के पांच बच्चे होंगे. इनमें चार नि:शक्त व एक सामान्य बच्च होगा. एक सामान्य बच्च ग्रुप का लीडर होगा. बाद में इसी ग्रुप के एक नि:शक्त बच्चे को लीडर के रूप में चयन किया जायेगा. ग्रुप की मॉनीटरिंग भी ममताश्रय करेगा. हर शनिवार को बाल सभा का आयोजन कराने से लेकर सामान्य बच्चों के बीच प्रतियोगिता होगी.
राज्य परियोजना निदेशक के निर्देशानुसार इसकी शुरुआत सभी हाइ स्कूलों में हो रही है. इसके लिए सभी स्कूलों में मेंटर का चयन किया गया है. जुलाई के दूसरे सप्ताह से ममताश्रय पूरी तरह से काम करने लगेगा. इससे अब नि:शक्त बच्चे सामान्य बच्चों के साथ सहज रूप से पढ़ाई कर सकेंगे. साथ ही समस्याओं का निदान ममताश्रय के जरिये हो सकेगा.
डॉ अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी