नयी दिल्ली : खाद्य वस्तुओं, ईंधन, आवास, कपड़ों और जूते-चप्पलों के दाम बढने से जून माह में खुदरा मुद्रास्फीति बढकर 5.4 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो इसका आठ माह का उच्चस्तर है. हालांकि, माह के दौरान चीनी व कनफेक्शनरी उत्पादों की कीमतों में कमी भी आई. मुद्रास्फीति बढने से रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश घट गई है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 5.01 प्रतिशत पर थी. पिछले साल जून में यह 6.77 फीसद के स्तर पर थी. केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आज जारी आंकड़ों के अनुसार जून महीने में सालाना आधार पर दालों के दाम 22.24 प्रतिशत बढे. कुल खाद्य मुद्रास्फीति भी मई के 4.8 प्रतिशत से बढकर 5.48 प्रतिशत पर पहुंच गई.
हालांकि, यह जून, 2014 की 7.21 प्रतिशत की खाद्य मुद्रास्फीति से कम है. वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि जून माह में खुदरा मुद्रास्फीति में बढोतरी ‘उल्लेखनीय’ नहीं है और बेहतर मानसून से इसके नीचे आने की उम्मीद है. समीक्षाधीन महीने में फलों के दाम पिछले साल की इसी अवधि से 3.51 प्रतिशत व सब्जियों के दाम 5.37 प्रतिशत अधिक थे.
इसी तरह जून, 2015 में दूध एक साल पहले की तुलना में 7.18 प्रतिशत महंगा था. प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों मसलन मीट व मछली के दाम जून में 6.99 प्रतिशत बढे, जबकि मसालों के दाम 9.71 प्रतिशत अधिक थे. इसी तरह तैयार स्नैक्स व मील्स के दामों में 7.84 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज हुई, जबकि कपडे व जूते-चप्पल खंड की महंगाई दर 6.34 प्रतिशत, आवास की 4.48 प्रतिशत तथा ईंधन व बिजली की 5.92 प्रतिशत रही.
अन्य श्रेणियों में खाद्य तेल एवं वसा के दामों में 3.06 प्रतिशत, मोटे अनाज और उसके उत्पादों के दामों में 1.98 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली. समीक्षाधीन महीने में अंडा 5.09 प्रतिशत महंगा था. जून, 2015 में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में चीनी और कनफेक्शनरी उत्पादों के दाम 8.55 प्रतिशत घटे.
रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि मूल्यवृद्धि केंद्रीय बैंक के लिए अभी चिंता का विषय बनी हुई है. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि जनवरी, 2016 तक मुद्रास्फीति छह प्रतिशत पर होगी. केंद्रीय बैंक 4 अगस्त को तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा.
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