नयी दिल्ली : सरकार ने राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल की आपूर्ति पर तेल विपणन कंपनियों को प्रति लीटर 12 रुपये सब्सिडी देना तय किया है जबकि रसोई गैस पर दी जाने वाली पूरी सब्सिडी केंद्र स्वयं वहन करेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की ईधन विक्रेता कंपनियों को वित्त मंत्रालय केरोसिन पर अपनी तरफ से 12 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देगा.
राशन दुकानों के बिक्री मूल्य और उत्पादन लागत के बीच के अंतर की इस भरपाई के बाद भी यदि नुकसान होता है तो उसे ओएनजीसी जैसी उत्खनन कंपनियां पूरा करेंगी. इस तेल कंपनियां राशन दुकानों के जरिये 18 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर केरोसिन बेचती हैं.
इसमें से 12 रुपये की भरपाई सरकार करेगी जबकि शेष ओएनजीसी, ऑयल इंडिया तथा उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र की कंपनियां वहन करेंगी. उन्होंने कहा ‘मौजूदा तेल मूल्य के आधार पर पूरे वित्त वर्ष के लिए उत्खनन कंपनियों की हिस्सेदारी 5,000-6,000 करोड रुपये हो सकती है.’
जहां तक एलपीजी का मामला है इसकी लागत और सरकार नियंत्रित बिक्री मूल्य के बीच के अंतर की पूरी भरपाई सरकार करेगी. वित्त वर्ष 2015-16 के बजट में एलपीजी सब्सिडी के लिए 22,000 करोड रुपये और केरोसिन के लिए 8,000 करोड रुपये का प्रावधान किया गया है. उन्होंने कहा ‘केरोसिन के लिए प्रावधान पर्याप्त है लेकिन एलपीजी के लिए पूरक मांग में अतिरिक्त कोष प्रदान करना पड सकता है.’
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