12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

तथ्यों से परदा हटायें

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा 2008 से हुईं हजारों नियुक्तियां एवं दाखिले संदेह के घेरे में हैं. इनमें बड़े पैमाने पर हो रहे घोटाले का 2013 में परदाफाश होने के बाद से इससे जुड़े 45 से अधिक लोगों की मौत ने इसकी गुत्थी को और उलझा दिया है. चार दिनों के अंदर इससे […]

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा 2008 से हुईं हजारों नियुक्तियां एवं दाखिले संदेह के घेरे में हैं. इनमें बड़े पैमाने पर हो रहे घोटाले का 2013 में परदाफाश होने के बाद से इससे जुड़े 45 से अधिक लोगों की मौत ने इसकी गुत्थी को और उलझा दिया है. चार दिनों के अंदर इससे जुड़े जिन चार लोगों की मौत ने देश को स्तब्ध कर दिया, उनमें एक मेडिकल कॉलेज का डीन (जो इसकी जांच से भी जुड़े थे), एक न्यूज चैनल का पत्रकार (जो इसकी रिपोर्टिग करने गये थे), व्यापमं के जरिये नियुक्त एक महिला सब इंस्पेक्टर और एक आरोपित हेड कांस्टेबल शामिल हैं.

इन मौतों के बाद विपक्षी ही नहीं, सत्ता पक्ष के कई नेताओं ने भी जांच किसी निष्पक्ष एजेंसी से कराने की मांग रखी. आखिर चौतरफा दबाव के कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सीबीआइ जांच के लिए हाइकोर्ट से आग्रह करना पड़ा. यह सिफारिश स्वागतयोग्य है, पर इतनी देरी से की गयी है कि छवि बचाने की कोशिश ज्यादा लगती है. ध्यान रहे कि 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में भी व्यापमं से जुड़ी कुछ याचिकाओं पर सुनवाई होनी है, जिनमें सीबीआइ जांच की मांग भी की गयी है. इससे पहले मुख्यमंत्री ने एसआइटी का गठन जरूर किया, पर उससे संदेहों के बादल नहीं छटे, क्योंकि एसआइटी राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह है.

स्वतंत्र भारत के अपनी तरह के इस सबसे बड़े घोटाले पर पड़ा संदेहों का साया मौत-दर-मौत घना ही हो रहा है. मुख्यमंत्री की यह दलील सही हो सकती है कि सभी मौतों को घोटाले से जोड़ना ठीक नहीं है, कुछ मौतें स्वाभाविक हो सकती हैं, लेकिन केवल इस दलील से संदेह के बादल नहीं छंट सकते. लोगों के मन में सवाल यह भी है कि जिन मौतों के व्यापमं से जुड़े होने की खबरें आ रही हैं, उनकी विसरा रिपोर्ट और डॉक्टरों की राय सरकार सार्वजनिक क्यों नहीं कर देती? ऐसी जानकारियां राज्य सरकार, पुलिस या एसआइटी की वेबसाइट पर क्यों नहीं दी जा सकती? अब उच्च स्तर की पारदर्शिता ही इस मामले पर पड़े संदेहों के धुंधलके को कम कर सकती है. घोटाले में बहुत से प्रभावशाली लोग भी आरोपित हैं, इसलिए लोगों के मन में उठ रहा यह संदेह गैरवाजिब नहीं है कि आरोपित अपना दामन बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. केंद्र के इशारे पर काम करने के आरोपों के बावजूद सीबीआइ के बारे में आम धारणा है कि यह देश की सबसे सक्षम जांच एजेंसी है. इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि व्यापमं घोटाले की सीबीआइ जांच जल्द शुरू होगी और सार्थक परिणति तक पहुंचेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें