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पुण्यतिथि पर याद आया ”कारगिल का शेर” विक्रम बत्रा

नयी दिल्ली : परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि 7 जुलाई को थी. इस मौके पर उन्हें कई राजनीतिक दल के नेताओं समेत भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्विटर पर नमन किया और श्रद्धाजंलि दी. कारगिल विजय के हीरो रहे कैप्टन बत्रा को उनके सहयोगी शेरशाह बुलाते थे. यह उनका […]

नयी दिल्ली : परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि 7 जुलाई को थी. इस मौके पर उन्हें कई राजनीतिक दल के नेताओं समेत भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने भी ट्विटर पर नमन किया और श्रद्धाजंलि दी.

कारगिल विजय के हीरो रहे कैप्टन बत्रा को उनके सहयोगी शेरशाह बुलाते थे. यह उनका कोड नेम भी था और पाकिस्तानी भी इस कोड नेम से अच्छी तरह वाकिफ थे. कारगिल युद्ध के बाद जीत का जश्न मनाने के लि कैप्टन बत्रा भले ही मौजूद ना रहे हो पर एक के बाद एक बंकर जीतने के बाद उनके साथियों और उनकी तरफ से लगाया जा रहा यह नाराह्य ये दिल मांगे मोरह्ण लोगों की जेहन में है.

कैप्टन बत्रा इतने जाबांज और बहादुर थे कि पाकिस्तानी भी उन्हें एक बड़ी चुनौती के रूप में स्वीकार करते थे. बंकर पर कब्जे के वक्त भी पाकिस्तानियों ने उन्हें खुलेआम चुनौती दी थी कि ऊपर आने की कोशिश ना करें. इस धमकी के बाद कैप्टन बत्रा के साथियों में एक अलग ही जोश आ गया था कि आखिर कैसे पाकिस्तानियों ने हमें चुनौती देने की हिम्मत की. कैप्टन बत्रा को कारगिल का शेर भी कहा जाता था.

कैप्टन बत्रा के पिता जी. एल बत्रा कहते हैं कि वह उस फोन कॉल को कभी नहीं भूल सकते, जो उनके बेटे ने बंकर पर कब्जा करने के बाद उन्हें किया था. मिस्टर बत्रा कहते हैं वह उनके जीवन का सबसे शानदार पल था जब उनके बेटे ने उन्हें फोन पर खबर दी कि वह बंकर पर कब्जा करने में कामयाब रहा है. बत्रा बताते हंै कि मैंने भी उस वक्त अपने बेटे को आशीर्वाद दिया था.

जब भी कारगिल फतेह की चर्चा होगी कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत को याद किया जायेगा. बत्रा ने 1996 में इंडियन आर्मी ज्वाइन की थी, उन्हें जम्मू कश्मीर राइफल यूनिट का लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया था. फिर कुछ समय के बाद उन्हें कैप्टन का रैंक दे दिया गया.

1 जून 1999 को उन्हें कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाने के लिए चुनौती दी गयी उन्हें पाईंट 5140 को फतेह करने के लिए भेजा गया जो 17000 फीट की ऊंचाई पर था. इसी ऑपरेशन में कैप्टन बत्रा को शेरशाह नाम दिया गया. मिशन के दौरान जब बत्रा अपनी टीम के साथ ऊपर चढ़ रहे थे तो ऊपर बैठे दुश्मनों ने फायरिंग शुरू कर दी.

बत्रा ने बहादुरी का परिचय देते हुए तीन दुश्मनों को नजदीकी लड़ाई में मार गिराया और अपने लक्ष्य तक पहुंचे. 20 जून 1990 को उन्होंने प्वाइंट 5140 पर भारत का झंडा लहराया इसके अलावा उन्होंने प्वाइंट 5100, 4700, 4750 और 4875 पर भी जीत का परचम लहराया. अंतत: प्वाइंट 4875 पर कब्जा करते समय कैप्टन बत्रा बुरी तरह घायल हो गये औ 7 जुलाई 1999 को भारत मां के इस वीर सपूत ने आखिरी बार जय मातादी कह कर इस दुनिया से विदाई ली.

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