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हाइकोर्ट : बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सुनिश्चित करें रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को जमशेदपुर, रांची, बोकारो व धनबाद के अस्पतालों से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए […]

हाइकोर्ट : बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सुनिश्चित करें
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को जमशेदपुर, रांची, बोकारो व धनबाद के अस्पतालों से निकलनेवाले बायो मेडिकल वेस्ट के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बायो मेडिकल कचरा खतरनाक है. राज्य सरकार के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं, झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव व रांची नगर निगम के नगर आयुक्त को आपस में सहयोग करने तथा निश्चित अंतराल पर मेडिकल कचरे का साइंटिफिक तरीके से उचित निष्पादन हरहाल में सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. साथ ही दो सप्ताह के अंदर की गयी कार्रवाई की जानकारी शपथ पत्र के माध्यम से देने को कहा.
खंडपीठ ने अस्पतालों, नर्सिग होम, ब्लड बैंकों आदि का स्थल निरीक्षण कर उसकी जांच करने को कहा. पायलट प्रोजेक्ट के तहत रांची शहर को लेने तथा अन्य राज्यों में मेडिकल कचरा प्रबंधन की जानकारी लेने का भी निर्देश दिया. खंडपीठ ने कहा कि एजेंसियां स्थल निरीक्षण में यह देखें कि किसने लाइसेंस व प्राधिकार पत्र (एनओसी) लिया है और किसने नहीं लिया.
बिना लाइसेंस व एनओसी लिये संचालित हो रहे अस्पताल, नर्सिग होम, ब्लड बैंक, लैब या क्लिनिक (यदि मेडिकल कचरा निकलता हो) को विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए तुरंत बंद कर दिया जाये. जरूरत हो तो प्राथमिकी भी दर्ज करें. सुनवाई के दौरान सशरीर उपस्थित प्रदूषण बोर्ड के सदस्य सचिव संजय कुमार सुमन से कोर्ट ने प्रश्नों का जवाब मांगा. संतुष्ट होने पर आगे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में सशरीर हाजिर होने से मुक्त कर दिया. इससे पूर्व बोर्ड की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा.
उन्होंने बताया कि बोर्ड के पास राज्य सरकार द्वारा रजिस्टर्ड मेडिकल संस्थानों की ही सूची है, जिसे प्राधिकार पत्र दिया गया है. राज्य में कितने संस्था बिना एनओसी के चलाये जा रहे है, उसकी जानकारी बोर्ड के पास नहीं है. यह जानकारी सरकार को होनी चाहिए. वैसे संस्थानों को राज्य सरकार ही बंद कर सकती है.
एनओसी की शर्त का उल्लंघन कर रहे संस्थानों के खिलाफ बोर्ड विधि सम्मत कार्रवाई कर रहा है. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता विनोद पोद्दार व राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने पक्ष रखा. गौरतलब है कि प्रार्थी झारखंड ह्यूमैन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है.
महाधिवक्ता ने की मीडिया पर रोक की मांग
जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता विनोद पोद्दार ने कोर्ट के समक्ष मीडिया पर रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि वैसी बातें भी प्रकाशित-प्रसारित की जा रही है, जो आदेश में रहता ही नहीं है.
कोर्ट में कही गयी मौखिक बातों पर भी खबर बन जा रही है. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने महाधिवक्ता के आग्रह को नकार दिया. मालूम हो कि महाधिवक्ता द्वारा मीडिया पर रोक लगाने की मांग कोई नया नहीं है. इससे पहले भी वे रोक लगाने की मांग कर चुके है.

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