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स्वास्थ्य मंत्रालय ने नवजात बच्चे की मौत पर दो अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नवजात शिशु का कथित रूप से इलाज नहीं करने पर दो अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी है. शिशु सांस की बीमारी से ग्रसित था और इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गयी. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने पीडित शिशु के परिवार के उन […]

नयी दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नवजात शिशु का कथित रूप से इलाज नहीं करने पर दो अस्पतालों से रिपोर्ट मांगी है. शिशु सांस की बीमारी से ग्रसित था और इलाज नहीं होने के कारण उसकी मौत हो गयी. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने पीडित शिशु के परिवार के उन आरोपों पर आरएमएल और कलावती सरन बाल अस्पताल से रिपोर्ट मांगी है कि अस्पतालों ने उनके बच्चे का इलाज करने से इंकार कर दिया जिससे उसकी मौत हो गयी.’

बच्चे के अभिभावकों के अनुसार रविवार की दोपहर बुद्ध विहार के एक निजी अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि बच्चे को सांस की तकलीफ है और उसे 48 घंटे तक वेंटिलेटर पर रखे जाने की जरुरत है. बच्चे के अभिभावक निजी अस्पताल का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं थे. इसलिए वे बच्चे को कलावती सरन बाल अस्पताल और राममनोहर लोहिया अस्पताल ले गये. लेकिन दोनों ने यह कहते हुए इलाज से इंकार कर दिया कि उनके पास बेड और वेंटिलेटर नहीं है.

उसके बाद बच्चे को लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे इलाज शुरू होने के पहले ही मृत घोषित कर दिया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बाद आरएमएल अस्पताल ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति गठित की है. इसमें बाल विभाग के दो डाक्टर और उप श्रम कल्याण आयुक्त शामिल हैं. रिपोर्ट एक या दो दिनों में आने की संभावना है. अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर ने इस बात की पुष्टि की कि मंत्रालय की ओर से रिपोर्ट मांगी गयी है.

उन्होंने कहा कि मेडिकल अधीक्षक (एमएस) डा. एके गदपायले ने बाल विभाग के प्रमुख तथा कल दोपहर में घटना के समय ड्यूटी पर रहे वरिष्ठ रेजिडेंट डाक्टर को समन किया. उन्होंने कहा कि मेडिकल अधीक्षक ने इस संबंध में आकस्मिक विभाग के प्रभारी से भी पूछताछ की है. उधर कलावती सरन अस्पताल के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार कर दिया.

पीडित परिवार के एक रिश्तदार भुवनेश कुमार ने कहा कि बच्चे का पिता धीरज कुमार 30 हजार रुपये खर्च कर चुका था और वेंटिलेटर के लिए और 10 हजार रुपये वहन करने की स्थिति में नहीं था. इसके बाद परिवार ने 102 नंबर पर फोन कर बच्चे को किसी सरकारी अस्पताल ले जाने के लिए कैट्स एंबुलेंस बुलाया.

अभिभावकों के अनुसार बच्चे को पहले कलावती सरन अस्पताल ले जाया गया लेकिन अस्पताल ने भर्ती करने और उपचार करने से मना कर दिया और कहा कि अस्पताल में बिस्तर या वेंटीलेटर नहीं है. अभिभावकों ने कहा कि इसके बाद बच्चे को राममनोहर लोहिया अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने भी यही बहाना बना कर इलाज करने से इंकार कर दिया. बच्चे को अंतत: लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल ले जाया गया.

उन्‍होंने कहा कि एलएनजेपी पहुंचने पर उन्हें बताया गया कि उनके पास पोर्टेबल आक्सीजन सिलेंडर नहीं है. इलाज के लिए कई बार आग्रह करने के बाद चिकित्सकों ने आपातकालीन वार्ड में बच्चे को भर्ती करने के लिए उसे एंबुलेंस से उठाने का प्रयास किया. उन्होंने कहा, ‘कैट्स एंबुलेंस में लगी ऑक्सीजन आपूर्ति को जैसे ही हटाया गया बच्चे की मौत हो गई. उसकी मौत सरकारी अस्पतालों की लापरवाही के कारण हुई.’

घटना पर प्रतिक्रिया जताते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने केंद्र पर दोष मढने का प्रयास किया. उन्होंने कहा, ‘बच्चे को कलावती और आरएमएल अस्पताल ले जाया गया. दोनों अस्पताल केंद्र सरकार के अधीन आते हैं. इसके बाद उसे एलएनजेपी ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने तुरंत उसका उपचार शुरू किया लेकिन दुर्भाग्य से उसकी मौत हो गई.’ जैन ने स्पष्ट किया कि एलएनजेपी ने भर्ती करने से इंकार नहीं किया.

उन्होंने कहा, ‘उपचार के बाद भर्ती किया जाता है. चिकित्सकों ने बच्चे का उपचार आपातकालीन वार्ड में शुरू कर दिया था. एलएनजेपी अस्पताल रोगियों को भर्ती करने से इंकार नहीं करता.’

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