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विकास में बाधा: मुश्किलों भरी है स्वच्छता अभियान की डगर, 2.85 लाख घरों में शौचालय नहीं
पूर्णिया: जिले में स्वच्छता अभियान का हाल बेहाल है. सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले के 2. 85 लाख घरों में शौचालय नहीं है. ऐसे परिवार अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. स्वच्छ भारत अभियान में शौचालय निर्माण में सरकारी राशि पानी की तरह बह रही है. इसके बावजूद लोगों को खुले में […]
पूर्णिया: जिले में स्वच्छता अभियान का हाल बेहाल है. सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले के 2. 85 लाख घरों में शौचालय नहीं है. ऐसे परिवार अब भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं. स्वच्छ भारत अभियान में शौचालय निर्माण में सरकारी राशि पानी की तरह बह रही है. इसके बावजूद लोगों को खुले में शौच जाने की बाध्यता इस अभियान के लिए करारा झटका है. पिछले वर्ष शौचालय निर्माण का लक्ष्य 15 हजार 383 था, इसके विपरीत 4460 शौचालयों का ही निर्माण हो सका. अहम सवाल यह है कि इसी मंथर गति से शौचालय का निर्माण होता रहा तो हर घर में शौचालय बनाने का सपना शायद पचास वर्षो में भी पूरा नहीं हो पायेगा.
क्या है स्वच्छ भारत मिशन
व्यक्तिगत शौचालय निर्माण में स्वच्छ भारत अभियान की ओर से 4600 रुपये एवं मनरेगा की ओर से 9100 रुपये लाभार्थियों को देने का प्रावधान है. जबकि लाभार्थी को बतौर अंशदान 900 रुपये खर्च करने होते हैं. स्वच्छता अभियान के लिए सरकार इतना कुछ कर रही है. विडंबना है कि इसके बावजूद शौचालय निर्माण का कार्य कच्छप गति से हो रहा है. इस कच्छप गति के पीछे विभाग का तर्क है कि लोगों में अब भी जागरुकता का अभाव है.
जिले में मात्र एक निर्मल ग्राम
जिले में पिछले पांच वर्षो में मात्र एक ही निर्मल ग्राम बना है. जो पूर्णिया पूर्व प्रखंड का कबैया है. दूसरा जलालगढ़ प्रखंड का चकहाट पंचायत है. जो प्रस्तावित है. तमाम विभागीय प्रयासों के बावजूद पूरे जिले में केवल एक निर्मल ग्राम होना अपने आप में एक सवाल है.
वर्ष 2019 तक रखा गया है लक्ष्य
प्रधान मंत्री स्वच्छता अभियान के तहत पीएचइडी विभाग ने कमर कस ली है. विभाग स्वच्छता अभियान को अमली जामा पहनाने की दिशा में धीरे -धीरे आगे बढ़ रही है. साथ ही जिले के सभी पंचायतो ंमें ग्राम सभा आयोजित कर लोगों को शौचालय निर्माण कराने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास जारी है. वर्ष 2019 तक पंचायतो को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. स्वच्छता मिशन के जिला समन्वयक रंजय बैठा ने बताया कि लोगों में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से स्वच्छता दूत की चयन प्रक्रिया चल रही है. शीघ्र ही स्वच्छता दूत गांव -गांव जाकर लोगों को खुले में शौच एवं स्वच्छता से जुड़े तथ्यों से अवगत करायेंगे.
बदलेगी तसवीर
अगले चार वर्षो में खुले में शौच मुक्त भारत का खाका तैयार किया गया है. पीएचइडी विभाग से अनुदान लेकर चालू वर्ष में लगभग 775 शौचालय निर्माण किया गया है. किंतु इस परिणाम से विभाग भी संतुष्ट नहीं है. अभियान के राह में जागरूकता रोड़ा साबित हो रहा है. विभागीय सूत्रों के अनुसार जब तक आम लोग जागरूक नहीं होंगे खुले में शौच पर पूरी तरह विराम नहीं लग पायेगा.
जागरूकता के लिए होता रहा है प्रयास
शौचालय निर्माण के लिए लोगों को समय समय पर जागरुक करने का प्रयास किया जाता रहा है. शौचालय निर्माण पर प्रोत्साहन राशि मिलने का प्रावधान है. लाभुकों को शौचालय निर्माण में अंशदान के रुप में मात्र 900 रुपये देना होता है.
परमानंद प्रसाद, कार्यपालक अभियंता,लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग,पूर्णिया
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