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ढाई लाख श्रद्धालुओं ने कुंड में डुबकी लगायी

राजगीर (नालंदा) : पुरुषोत्तम मास, अधिक मास को मलमास मेले के नाम से जाना जाता है. राजगीर मलमास मेले के लिए प्रसिद्ध है. तीन साल पर एक माह तक लगनेवाला मलमास मेले में धीरे-धीर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है. सोमवार को ढाई लाख श्रद्धालुओं ने राजगीर के विभिन्न कुंडों में डुबकी लगायी. बारिश और […]

राजगीर (नालंदा) : पुरुषोत्तम मास, अधिक मास को मलमास मेले के नाम से जाना जाता है. राजगीर मलमास मेले के लिए प्रसिद्ध है. तीन साल पर एक माह तक लगनेवाला मलमास मेले में धीरे-धीर श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है.
सोमवार को ढाई लाख श्रद्धालुओं ने राजगीर के विभिन्न कुंडों में डुबकी लगायी. बारिश और अन्य परेशानी के बावजूद यात्री कुंड स्थान, ध्यान तथा दान में पीछे नहीं हट रहे हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से काफी संख्या में महिला, पुरुष अपने परिजनों के साथ राजगीर मलमास मेले में आ रहे हैं. सोमवार को अहले सुबह से बारिश हो रही थी. बावजूद भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्थान कर पूजा- अर्चना की.
स्थानीय पंडितों का कहना है कि राजगीर का मलमास मेले में स्थान और दर्शन लाभ से संसार के समस्त तीर्थों का लाभ मिल जाता है. चूंकि मलमास की अवधि में यहां 33 हजार कोटि देवी-देवता प्रवास किया करते हैं. इस अवधि के दौरान राजगीर के अलावा और कहीं शुभ कार्य नहीं होता है.
कहा जाता है कि राजगीर में मेला हजारों हजार वर्ष से लगते आ रहे हैं. राजा महाराज, जमींदार व ब्रिटिश हुकूमत से मेला आयोजित होते आ रहे हैं. इस मेले की अपनी महत्ता, मर्यादा और प्राचीन इतिहास है. इसके ग्रंथ और सरकार के पास ढेर सारे साक्ष्य है.

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