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जेइ की नियुक्ति में हुआ घोटाला : सुशील मोदी

पटना: पूर्व उप मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा है जल संसाधन विभाग में 392 जूनियर इंजीनियर (सिविल) के पदों पर हुई नियुक्ति में घोटाला हुआ. सामान्य प्रशासन विभाग जो मुख्यमंत्री के जिम्मे हैं , पांच बार आरोप पत्र भेजे जाने के बावजूद […]

पटना: पूर्व उप मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा है जल संसाधन विभाग में 392 जूनियर इंजीनियर (सिविल) के पदों पर हुई नियुक्ति में घोटाला हुआ. सामान्य प्रशासन विभाग जो मुख्यमंत्री के जिम्मे हैं , पांच बार आरोप पत्र भेजे जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर सका. पटना हाईकोर्ट के आदेश से हुए पुनमरूल्यांकन में इस फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ.

जेई नियुक्ति के लिए परीक्षा आयोजित करने से लेकर रिजल्ट जारी करने तक हुए फर्जीवाड़े से सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़ा हो गया है. मोदी ने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि जब 6017 अभ्यर्थियों के लिए परीक्षा आयोजित की गयी तो 13210 ओएमआर शीट क्यों नहीं जारिया किया गया. परीक्षा केंद्र पर दो घंटे पहले ओएमआर शीट देने के नियम है, लेकिन इस नियम को दरकिनार कर दो दिन पहले क्यों दे दिया गया. परीक्षा होने के बाद 7193 ओएमआर शीट का कोई लेखा-जोखा सरकार के पास क्यों नहीं है.

परीक्षा विवरण से संबंधित पुरानी सीडी को किसके आदेश पर नष्ट किया गया. अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर में गद्यांश नहीं लिखे होने तथा हिंदी और अंगरेजी में हस्ताक्षर नहीं होने के बावजूद ओएमआर शीट की जांच कैसे हो गयी. मोदी ने कहा कि पांच जनवरी, 2012 को जारी रिजल्ट में ओएमआर शीट में हेराफेरी कर 22 ऐसे अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था, जिन्हें जीरो या निगेटिव अंक मिले थे. इसका खुलासा पटना हाईकोर्ट के 17 अप्रैल 2013 के आदेश के बाद हुए पुनमरूल्यांकन में हुआ, जिसमें 26 ऐसे अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये, जिन्हें पहले फेल कर दिया गया था. इससे संबंधित आरोपपत्र कर्मचारी चयन आयोग द्वारा सीएम के संज्ञान के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पांच बार भेजा गया, पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही विसंगतियां दूर हुई.

को दूर करने के लिए कोई निर्देश दिया गया. मोदी ने कहा कि दूसरे राज्यों को लेकर मुखर रहनेवाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में हुए जेई भर्ती घोटाला में चुप्पी साधे हुए हैं. अब तक इस मामले में न तो किसी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गयी है और न ही किसी को निलंबित. सामान्य प्रशासन विभाग के मंत्री होने के नाते मुख्यमंत्री की जिम्मेवारी बनती है कि वे इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराएं और दोषियों को चिह्न्ति कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें.

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