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एस्सेल कैसे करे त्वरित कार्रवाई, मुंबई से लेना पड़ता है निर्देश

मुजफ्फरपुर: एस्सेल की एमवीवीएल कंपनी के स्थानीय अधिकारी 50 रुपये भी खर्च करने के लिए सक्षम नहीं है. नया नियम आने के बाद इनके अधिकारी पर अंकुश लग गया है. एक-एक काम के लिए मुंबई मुख्य कार्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीइओ) से आदेश लेना पड़ता है. स्थानीय अधिकारी उपभोक्ताओं की समस्या पर आश्वासन देने […]

मुजफ्फरपुर: एस्सेल की एमवीवीएल कंपनी के स्थानीय अधिकारी 50 रुपये भी खर्च करने के लिए सक्षम नहीं है. नया नियम आने के बाद इनके अधिकारी पर अंकुश लग गया है. एक-एक काम के लिए मुंबई मुख्य कार्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीइओ) से आदेश लेना पड़ता है.
स्थानीय अधिकारी उपभोक्ताओं की समस्या पर आश्वासन देने लायक भी नहीं रह गये हैं. ऐसे में उपभोक्ता अपनी समस्या लेकर किसके पास कहां जाये, बड़ा सवाल है? समस्या समाधान नहीं होने पर कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता हंगामा करते रहते हैं, कंपनी के अधिकारी मौके पर जाने के बजाय सहकर्मियों को पिटाई खाने को छोड़ देते हैं. ऐसी हालत पहले नहीं थी, विगत एक वर्ष से हुआ है.
आदेश आने में ही बीत जायेंगे कई दिन : कंपनी ने नये नियम में कर्मियों से लेकर ऊपर के अधिकारियों के बीच सीढ़ियां बनी हुई है. इसी रास्ते से होकर उपभोक्ताओं की बात कंपनी के अधिकारी तक पहुंचती है. अंतिम आदेश कंपनी के सीइओ से मिलता है, तब कुछ काम हो पाता है. ऐसे हंगामा होना लगभग तय है. कंपनी के लाइनमैन एरिया मैनेजर को, एरिया मैनेजर सहायक महाप्रबंधक को, सहायक महाप्रबंधक महाप्रबंधक को व इसके बाद अपर मैनेजमेंट को पूरी स्थिति से अवगत कराते हैं. तब तक उपभोक्ता पोल, तार व ट्रांसफॉर्मर के लिए त्रहिमाम करते रहते हैं. कंपनी के सीइओ से आदेश आने के बाद ही कुछ हो पाता है.
अधिकारियों के पास शक्ति नहीं होने का नतीजा : शनिवार को भी रामदयालु नगर स्थित कंपनी कार्यालय में ऐसाही हुआ. उपभोक्ता दो दिनों से बिजली के लिए त्रहिमाम कर रहे थे. एमवीवीएल कंपनी के रामदयालु नगर स्थित कार्यालय में आवेदन भी दिया, समाधान नहीं हुआ. आठ दिन से अंधेरे में थे. इसके बाद उपद्रव हो गया.
जून में बिजली के लिए अघोरिया बाजार चौक को लोगों ने दिन भर जाम रखा, बिजली कंपनी के कोई अधिकारी शाम पांच बजे तक मौके पर नहीं पहुंचे. अंत में लोगों ने खुद सड़क जाम हटा दिया. कोई आश्वासन नहीं मिला. सदर थाना क्षेत्र के कच्ची-पक्की चौक के समीप उपभोक्ताओं ने मई में इसलिए सड़क जाम कर दिया कि अधिक क्षमता वाला ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए आवेदन देकर कई दिनों तक उम्मीद लगाये बैठे थे. कंपनी कार्यालय पहुंचने पर अधिकारियों ने उपभोक्ताओं के साथ बदसलूकी की. इसके बाद सब्र टूटने पर उपभोक्ताओं ने सड़क को आठ घंटे जाम रखा.
कुछ ऐसा ही मामला जून में हुआ. एरिया मैनेजर, कार्यपालक अभियंता समेत कई अधिकारियों को उपभोक्ताओं ने पिटाई की थी. गोबरसही स्थित ऑफिस में तोड़ फोड़ की. कंप्यूटर व सभी काउंटर को तोड़ डाला. कार्यपालक अभियंता से भगवानपुर में तार व पोल के मेंटनेंस का काम घंटों कराया. इसमें भगवानपुर, बीबीगंज, गोबरसही के उपभोक्ता शामिल थे. ऐसे कई मामले हैं जहां कंपनी के स्थानीय अधिकारी लाचार दिख जाते हैं.

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